परिवहन आयुक्त आशीष कुंद्रा की जनकल्याण नीतियों के कारण दिल्ली परिवहन निगम का कागजों में पहुंचा सालाना घाटा 2700 करोड़
दिल्ली की जनता को यह जानकर अति हर्ष होगा की दिल्ली सरकार और परिवहन आयुक्त की जनहित और कल्याणकारी नीतियों की बदोलत कागजों में दिल्ली परिवहन निगम का सालाना (1 अप्रैल से 30 मार्च तक का) घाटा दिखाया जा रहा है अंदाजन 2700 करोड़, यानी जनता को सार्वजानिक सवारी सेवा उपल्ब्ध करवाने हेतु सरकार और परिवहन विभाग द्वारा किया जा रहा खर्चा। यहां हमारा आपकों यह भी बताना जरूरी है कि अभी इसमें कलस्टर कंपनियों को और कलस्टर कंपनियों का सरकार की तरफ़ से मैनेजमेंट संभालने वाली कम्पनी डिम्ट्स को दिया जाने वाला पैसा नहीं जुड़ा हुआ। और यह घाटा तो तब दिखाया जा रहा है जब इसमें आम आदमी पार्टी दिल्ली सरकार और परिवहन विभाग द्वारा दिल्ली परिवहन निगम के लिए बस खरीदने के लिए एक रूपया खर्च नहीं किया है।
दिल्ली की जनता को परिवहन आयुक्त आशीष कुंद्रा का हृदय से आभार प्रकट करना चाहिए की विश्वस्तरीय सार्वजनिक सवारी बस सेवा आपको उपल्ब्ध करवा रहे हैं वह भी सरकारी खजाने से अंदाजन 5000 करोड़ रुपए से ज्यादा सालाना कागजों में घाटा दिखवाकर ।
दिल्ली सरकार और परिवहन आयुक्त की बात को माने तो दिल्ली परिवहन निगम आज की तारिख में अंदाजन 10 हजार करोड़ रुपए के घाटे पर पहुंच चुकी है और यह तब है जब पिछले 10 सालो से
a. ना कोई नई बस खरीदी गई,
b. ना कोई नया पक्का अधिकारी / कर्मचारी रखा गया,
c. डीटीसी डिपो में से परिवहन विभाग और बैंको को काफी जगह किराए पर दी गई, (अतिरिक्त कमाई का जरिया)
d. बसों में एड लगवाई गई, , (अतिरिक्त कमाई का जरिया)
e. महिला फ्री के नाम से प्रति पिंक पास 10 रुपए दिए जा रहे है, (अतिरिक्त कमाई का जरिया)। f. ना बसों की रिपेयर के लिए कोई कल पुर्जा खरीदा गया।
दिल्ली की जनता समझदार है और समझ ही गई होगी कि जब यह पैसा परिवहन निगम की किसी वस्तु के लिए नही खर्च हुआ तो यह सारा पैसा सिर्फ जनता के हित और सार्वजनिक सवारी बस सेवा प्रदान करने के उद्देश्य से प्रयोग करवाया गया कितना ख्याल रखते हैं दिल्ली की जनता का परिवहन आयुक्त आशीष कुंद्रा