दिल्ली की जनता को सार्वजानिक सवारी बस सेवा प्रदान करवाने के लिए राजस्व से खर्चा अंदाजन 5000 करोड़,

July 8, 2023

परिवहन आयुक्त आशीष कुंद्रा की जनकल्याण नीतियों के कारण दिल्ली परिवहन निगम का कागजों में पहुंचा सालाना घाटा 2700 करोड़

दिल्ली की जनता को यह जानकर अति हर्ष होगा की दिल्ली सरकार और परिवहन आयुक्त की जनहित और कल्याणकारी नीतियों की बदोलत कागजों में दिल्ली परिवहन निगम का सालाना (1 अप्रैल से 30 मार्च तक का) घाटा दिखाया जा रहा है अंदाजन 2700 करोड़, यानी जनता को सार्वजानिक सवारी सेवा उपल्ब्ध करवाने हेतु सरकार और परिवहन विभाग द्वारा किया जा रहा खर्चा। यहां हमारा आपकों यह भी बताना जरूरी है कि अभी इसमें कलस्टर कंपनियों को और कलस्टर कंपनियों का सरकार की तरफ़ से मैनेजमेंट संभालने वाली कम्पनी डिम्ट्स को दिया जाने वाला पैसा नहीं जुड़ा हुआ। और यह घाटा तो तब दिखाया जा रहा है जब इसमें आम आदमी पार्टी दिल्ली सरकार और परिवहन विभाग द्वारा दिल्ली परिवहन निगम के लिए बस खरीदने के लिए एक रूपया खर्च नहीं किया है।

दिल्ली की जनता को परिवहन आयुक्त आशीष कुंद्रा का हृदय से आभार प्रकट करना चाहिए की विश्वस्तरीय सार्वजनिक सवारी बस सेवा आपको उपल्ब्ध करवा रहे हैं वह भी सरकारी खजाने से अंदाजन 5000 करोड़ रुपए से ज्यादा सालाना कागजों में घाटा दिखवाकर ।

दिल्ली सरकार और परिवहन आयुक्त की बात को माने तो दिल्ली परिवहन निगम आज की तारिख में अंदाजन 10 हजार करोड़ रुपए के घाटे पर पहुंच चुकी है और यह तब है जब पिछले 10 सालो से
a. ना कोई नई बस खरीदी गई,
b. ना कोई नया पक्का अधिकारी / कर्मचारी रखा गया,
c. डीटीसी डिपो में से परिवहन विभाग और बैंको को काफी जगह किराए पर दी गई, (अतिरिक्त कमाई का जरिया)
d. बसों में एड लगवाई गई, , (अतिरिक्त कमाई का जरिया)
e. महिला फ्री के नाम से प्रति पिंक पास 10 रुपए दिए जा रहे है, (अतिरिक्त कमाई का जरिया)। f. ना बसों की रिपेयर के लिए कोई कल पुर्जा खरीदा गया।
दिल्ली की जनता समझदार है और समझ ही गई होगी कि जब यह पैसा परिवहन निगम की किसी वस्तु के लिए नही खर्च हुआ तो यह सारा पैसा सिर्फ जनता के हित और सार्वजनिक सवारी बस सेवा प्रदान करने के उद्देश्य से प्रयोग करवाया गया कितना ख्याल रखते हैं दिल्ली की जनता का परिवहन आयुक्त आशीष कुंद्रा

दिल्ली में आज बाहरी राज्यों के पंजीकृत वाहन स्क्रैप डीलरो की चलती नजर आईं मर्जी,

July 7, 2023

दिल्ली परिवहन आयुक्त के द्वारा जनता के वाहनों को उठाने के लिए क्या है आज के आदेश और क्या कर रहे हैं उनके प्रिय बाहरी वाहनों के पंजीकृत स्क्रैप डीलर

दिल्ली परिवहन आयुक्त दिल्ली की जनता के डीजल के 10 साल और अन्य किसी भी पेट्रोलियम पदार्थ से चलने वाले वाहनों की 15 साल पूरे होते ही अपने प्रिय बाहरी राज्यों के वाहन स्क्रैप डीलरो के सुपूर्द करवा कर रहेंगे और उसके लिए उन्हें कोई भी नीति का प्रयोग क्यो नही करना पड़े ।

इसी कार्य को पूरा करने के लिए परिवहन आयुक्त द्वारा अपने ज्ञान का प्रयोग कर ऐसी नीति निर्धारित कर दी

1. दिल्ली की जनता के डीजल/पेट्रोल से चलने वाले वाहनों को इलेक्ट्रिक में वाहन परिवर्तित करने/ ई वाहन रेट्रोफिटमेंट करने वाला एक भी अधिकृत डीलर उपल्ब्ध नहीं होने दिया जिससे उन्ही के द्वारा जनता को संबोधित कर कही बात “अपने समय सीमा पूरे कर चुके वाहनों को ई वाहन में परिवर्तित करवा कर दिल्ली की सड़को पर चलाए” को पूरा कर वाहन ई वाहन में परिवर्तित ना करवा सके और ना दिल्ली की सड़को पर चला सके और परिवहन आयुक्त उन्हे अपने प्रिय बाहरी राज्यों में पंजीकृत वाहन स्क्रैप डीलरो को सुपुर्द करवा सकें।

2. दिल्ली की जनता अपने वाहनों को

a.अधिकृत वाहन स्क्रैप डीलर को स्वयं देकर सही कीमत प्राप्त ना कर सके

b. अपने स्क्रैप करवाए हुए वाहन की सही समय सीमा में कीमत प्राप्त ना कर सके।

c. दिल्ली वासी स्क्रैप डीलर के खिलाफ किसी भी गलती की शिकायत दर्ज ना करवा सके इसके लिए अपने ज्ञान का प्रयोग कर दिल्ली में वाहन स्क्रैप डीलर पंजीकरण में ऐसी शर्त रख दी जिससे दिल्ली में कोई पंजीकरण के लिए प्रार्थना दर्ज कर सके ।अपनी नीति से दिल्ली में दिल्ली की जनता को अपने राज्य का पंजीकृत वाहन स्क्रैप डीलर उपल्ब्ध ही नहीं होने दिया,

दिल्ली की जनता को इन सच्चाई से समझ आ गया होगा कितने जनहित और जनप्रिय सोच रखते हैं दिल्ली के परिवहन आयुक्त आशीष कुंद्रा ।

आप की जानकारी के लिए बता दें परिवहन आयुक्त द्वारा प्रवर्तन शाखा के अधिकारियो को निर्देश ज़ारी किए गए थे खड़े वाहनों को सीधे उठाने की जगह उन पर नोटिस लगाया जाए (नोटिस की कापी आपकी जानकारी हेतु इस ब्लाग में प्रस्तुत) और नोटिस में लिखा गया है अपने डीजल इंजन से चालित वाहन जो 10 साल और अन्य इंजन से चालित 15 साल पूरे कर चुके वाहन को 7 दिन के अंदर किसी अधिकृत स्क्रैप डीलर को बेच दे या एनओसी लेकर बाहर भेज दें नही तो इस वाहन को उठा कर स्क्रैप डीलर को सौप दिया जायेगा,

इस दिशा निर्देश के जारी होने के बाद भी दिल्ली में परिवहन आयुक्त के प्रिय बाहरी राज्यों के पंजीकृत वाहन स्क्रैप डीलरो ने खड़े वाहनों को अपने कब्जे में लिया और वाहनों को उठा कर ले गए और वाहन उठा कर स्क्रैप डीलर को सोपने में कुछ प्रवर्तन शाखा के अधिकारी/ कर्मचारियो को छोड़कर या अपनी इच्छा से किसी वाहन पर नोटिस और किसी को उठाने में उनका पूरा साथ देते नज़र आए।

दिल्ली के परिवहन आयुक्त के अपने प्रिय बाहरी राज्यों में पंजीकृत वाहन स्क्रैप डीलरो ने तो अपने फायदे के लिए दिशा निर्देश दरकिनार किए यह सोचा जा सकता है पर उनके अंर्तगत कार्य करने वाली प्रवर्तन शाखा के अधिकारी/कर्मचारियों ने भी स्क्रैप डीलरो का साथ दिया यह सच में अचंभित करने वाली बात नज़र आईं।

कही ऐसा तो नहीं किसी और के कहने के कारण परिवहन आयुक्त को यह दिशा निर्देश जारी करने पड़े हो इसलिए कही इसका प्रयोग किया और अधिकतर जगह से वाहन उठा लिए गए?

दिल्ली परिवहन आयुक्त पद पर आसीन अधिकारी के लिए क्या हैं प्रमुख ?

July 1, 2023

परिवहन आयुक्त आशीष कुंद्रा क्या वायु गुणवता आयोग एवम् एनजीटी के दिशा निर्देशों के अनुसार दिल्ली की जनता के वाहन उठवा रहे हैं या उनके निर्देशों को भी दिखा रहे है ठेंगा सिर्फ अपने चहेते बाहरी राज्यों के वाहन स्क्रैप डीलरो की कमाई के लिए बड़ा सवाल ?

आपकी जानकारी हेतु बता दें
माननीय मंत्री (पर्यावरण एवं वन), भारत सरकार की अध्यक्षता में दिल्ली एनसीआर में वायु गुणवत्ता पर समीक्षा बैठक 26 04 2023 को पर्यावरण एवं वन मंत्री भारत सरकार की अध्यक्षता में आयोजित दिल्ली एनसीआर में वायु गुणवत्ता पर समीक्षा बैठक आयोजित की गई थी और इस मीटिंग में के दौरान दिए गए थे महत्वपूर्ण निर्देश,

परिवहन विभाग दिल्ली एनसीटी को सभी अपंजीकृत वाहनों को स्क्रैप नोटिस भेजने और उन्हें स्क्रैप प्रमाणपत्र जमा करने के लिए कहने का निर्देश दिया गया है।

जारी किए गए नोटिसों की संख्या आदि पर एक प्रस्तुति माननीय मंत्री (पर्यावरण एवं वन), भारत सरकार के समक्ष मई 2023 के पहले पखवाड़े में दिल्ली एनसीआर में वायु गुणवत्ता पर समीक्षा बैठक मे की जा सकती है। (दिशा निर्देश की प्रति जागरूक जनता की जानकारी हेतु साथ में प्रस्तुत)

आपकी जानकारी हेतु बता दें एनजीटी द्वारा 26 नवम्बर 2016 को आइटम नंबर 19 से 27 पर दिए आदेश के प्वाइंट नम्बर 4, 5 और 6 में जब्त किए गए वाहनों को छोड़ने की बात भी कही है । जानकारी के लिए एनजीटी के आदेश की कॉपी इसी ब्लॉग में उपलव्ध

  1. हम स्पष्ट करते हैं कि सड़कों पर चलने वाले या अन्यथा प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर केवल मोटर वाहन अधिनियम के तहत ही चालान नहीं किया जाता है, बल्कि पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के प्रावधानों और राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण अधिनियम, 2 के आदेशों के तहत भी चालान किया जाता है। 010. ट्रिब्यूनल के निर्देशों के उल्लंघन के लिए पुलिस द्वारा जब्त किए गए वाहन मोटर वाहन अधिनियम के तहत जब्त नहीं किए गए हैं, बल्कि ट्रिब्यूनल के विशिष्ट आदेशों के तहत जब्त किए गए हैं। जब तक वे पर्यावरणीय मुआवज़े के साथ-साथ दिल्ली पुलिस द्वारा मांगे गए कैरिज और पार्किंग शुल्क का भुगतान नहीं करते, उन्हें रिहा नहीं किया जा सकता और रिहा नहीं किया जाना चाहिए।

5. पर्यावरणीय मुआवजे की पहचान पहले ही रुपये के रूप में की जा चुकी है। प्रत्येक उल्लंघन के लिए 5,000/- रु. इसके अलावा, आज से एक सप्ताह के भीतर ग्रे दिल्ली पुलिस द्वारा क्रेन शुल्क की घोषणा कर दी जाएगी और संबंधित भूमि के पार्किंग शुल्क सहित नोटिस बोर्ड पर लगा दिया जाएगा। डीडीए दिल्ली पुलिस से 50% पार्किंग शेयर का हकदार होगा।

  1. हम दोहराते हैं कि ये केवल मोटर वाहन अधिनियम के तहत अपराध नहीं हैं और हमें उम्मीद है कि सभी संबंधित लोग इस बात पर ध्यान देंगे कि वाहनों को उपरोक्त दो अधिनियमों के प्रावधानों के तहत और राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण के आदेशों के तहत अल पर्यावरणीय अपराधों/उल्लंघन के संबंध मे जब्त किया जा रहा है।

पर दिल्ली के परिवहन आयुक्त आशीष कुंद्रा और उनकी इच्छा से वाहनों को उठाने के लिए लगाए गए बाहरी राज्यों के पंजीकृत उनके चहेते वाहन स्क्रैप डीलरो के पास इन सभी दिशा निर्देशों को पालन करने का समय कहा उन्हे तो दिल्ली की जनता के वाहन जल्द से जल्द बिना कायदे, बिना कानूनी प्रक्रिया बस उठाना और दिल्ली की सीमा से बाहर निकाल कर ले जाना है ।

वायु गुणवता आयोग के चेयरमैन से ट्रांसपोर्ट ऑपरेटर्स एंड लेबर वेलफेयर एसोसिएशन जानना चाहती हैं की किस आधार पर वायु गुणवता आयोग द्वारा 26 अप्रैल 2023 को जारी दिशा निर्देशों को परिवहन आयुक्त द्वारा पूरा नहीं करने पर और इस बात की पूरी जानकारी प्राप्त किए बिना परिवहन आयुक्त को वायु गुणवत्ता आयोग के चेयरमैन द्वारा दिल्ली की जनता के खड़े वाहनों को डीम्ड प्लाइंग मान कर तत्काल उठवाने का पत्र जारी किया गया ?

परिवहन आयुक्त का दिल्ली की सोती जनता को खुला पैगाम/ संदेश,

June 28, 2023

परिवहन आयुक्त आशीष कुंद्रा द्वारा आज अपने हस्ताक्षर कर दिल्ली की सोती जनता को दिया खुला पैगाम, इस पैगाम में उन्होने दिल्ली की जनता के वाहनों को अपने खास स्क्रैप डीलरो द्वारा उठाने को तो सही बताया ही साथ में उन्हें अपनी तरफ से और अधिक शक्तियां देकर कहा की बेखौफ होकर दिल्ली की जनता के दिल्ली सीमा के अंदर किसी भी स्थान पर खड़े डीजल के 10 साल और अन्य 15 साल पूरे हो चुके और परिवहन आयुक्त द्वारा अपनी शक्ति का प्रयोग कर पंजीकरण रद्द किए या एनओसी प्राप्त वाहनों को उठा कर अपने राज्यों में ले जाए।

आप यह तो भली भांति जानते ही हैं इसी परिवहन आयुक्त के दिमागी खेल के कारण दिल्ली में एक भी स्क्रैप डीलर पंजीकृत नही हो पाया और जनता के वाहनों को इलेक्ट्रिक किट लगाने वाला भी नहीं मिल सका

बाहरी राज्यों के पंजीकृत वाहन डीलर जिनका दिल्ली में कोई अधिकृत कलेक्शन सेंटर यानी उठाए गए वाहनों को रखने का स्थान तक जिनके पास उपल्ब्ध नहीं है को क्यो और किस कारण परिवहन आयुक्त आशीष कुंद्रा परिवहन मंत्री तक की बात को दरकिनार करने के साथ अपनी प्रद्दत शक्तियां प्रदान कर वाहनों को उठवा कर उनके हवाले करना चाहता है, क्या है माजरा और इसके पीछे छुपा कारण और सच ? आखिर कौन है परिवहन आयुक्त का मददगार जिसके कारण दिल्ली के उपराज्यपाल भी कुछ पूछने या इस की जांच करने के आदेश देने की जगह चुप्पी साधे आंख और मुंह बंद रखके सिर्फ देख रहें हैं।

आज परिवहन आयुक्त ने अपने हस्ताक्षर से आफिस मेमोरेंडम जारी कर जनता को खुला पैगाम/संदेश भेज कर साबित किया है जो वह कर या करवा रहें हैं वहीं कानुन हैं और उनके द्वारा दिए आदेश को दिल्ली में तो क्या भारत देश में रोकने वाला भी कोई नही.

परिवहन आयुक्त जो कर या करवा रहें हैं क्या वह न्यायिक है या अपने पद की ताक़त का प्रयोग जनता पर किसी अन्य की मदद/बल पाकर करवा रहे हैं।

परिवहन आयुक्त अन्य राज्यों के पंजीकृत डीजल वाहनों को समझते हैं प्रदुषण मुक्त आखिर क्यों ?

June 26, 2023

परिवहन आयुक्त आशीष कुंद्रा दिल्ली में डीजल इंजन यूरो VI वाहनों के पंजीकरण को लेकर क्यो खेल रहे हैं राजनीति,

क्या है माजरा, क्या है सच और क्या बताया जा रहा है जनता के समक्ष, स्वयं समझे और जाने

  1. दिल्ली में जब भी वायु गुणवता खराब स्थिति में जनता को दिखाई जाती हैं और दिल्ली के सभी वाहनों को बंद करने के आदेश ज़ारी होते रहें हैं तब भी दिल्ली परिवहन विभाग द्वारा बाहरी राज्यों के डीजल यूरो VI इंजन वाहनों को चलने की इजाजत दी जाती रही हैं, आखिर क्यों?
  2. सीएनजी इंजन वाहनों से भी कम प्रदूषण निकलता है डीजल इंजन यूरो VI वाहनों से फिर सीएनजी वाहनों का पंजीकरण शुरु क्यों और डीजल इंजन यूरो VI वाहनों का पंजीकरण बंद क्यों?
  3. दिल्ली की सड़को पर 12 महीने 24 घण्टे बाहरी राज्यों के अनगिनत डीजल वाहनों को चलने की इजाजत हैं तो दिल्ली में डीजल इंजन यूरो VI वाहनों के पंजीकरण के लिए रोक क्यों?

ऊपर लिखित प्रश्नों का जवाब दिल्ली के सभी नागरिकों को परिवहन आयुक्त से अपने अंदाज में जरूर मांगना चाहिए जिससे जनहित के नाम पर आयुक्त द्वारा किए जाने वाले कार्यों का सच सबके सामने आ सके।

अब सबसे महत्वपूर्ण बात

उच्चतम न्यायालय में जब वाहन क्षेत्र की एक एसोसिएशन ने याचिका दाखिल की तब परिवहन विभाग ने अपना पक्ष क्यों नहीं रखा, सवाल तो छोटा है पर इसका जबाव बड़ा महत्वपूर्ण है क्योंकी जब दिल्ली में अन्य सभी राज्यों के पंजीकृत डीजल वाहनों को आने जाने, चलने फिरने और घूमने की दिल्ली की सड़को पर पूरी छूट आयुक्त परिवहन द्वारा दी हुई है जो सड़को पर कोई भी कहीं भी जांच सकता हैं तो जी 20 के टैंडर जिनके पास उपल्ब्ध है वह इन दो महीनों के लिए किसी भी राज्य से टैंडर के अनुसार मांगें गए वाहनों की आराम से पूर्ति कर सकते थे। और यह बात परिवहन आयुक्त न्यायालय में बड़े आराम से प्रस्तुत कर सकते थे पर नहीं बताया और ना ही रखा अपना पक्ष, आखिर क्यों?

दिल्ली में अन्य सभी राज्यों के पंजीकृत डीजल यूरो 2 और 4 मानक के वाहनों को दिल्ली की सड़को पर खुले आम चलाने की इजाजत दे रखी है परिवहन आयुक्त द्वारा पर दिल्ली में डीजल वाहनों के पंजीकरण पर चाहते हैं पाबन्दी, हैं ना उनकी सोच कितनी जनहित और न्यायप्रिय

फैसला आपका, अगर हमारे द्वारा दिए तथ्य समझ आए तो जनहित में परिवहन आयुक्त, एनजीटी और उच्चतम न्यायालय से अवश्य मांगें जवाब।

सरकारी राजस्व में इज़ाफ़ा करवाने के लिए कुछ भी कर सकते है परिवहन आयुक्त आशीष कुंद्रा

June 25, 2023

*दिल्ली परिवहन विभाग द्वारा डीएल 1आरटी वाहन मालिकों को खुशी देने के साथ उनसे निकाला राजस्व में इज़ाफ़ा करने का एक और तरीका*

परिवहन आयुक्त द्वारा अभी कुछ दिन पहले ही दिल्ली में रेडियो टैक्सी (सिटी सर्विस) स्कीम में चलने वाले वाहन मालिको की लम्बे समय से चल रही मांग (सीएनजी वाहनों को 15 साल के लिए परमिट) को जो एमवी नियम और अधिनियम के दायरे में थी को मान कर आदेश जारी किए थे। इस आदेश के आने से दिल्ली में 1आरटी वाहन मालिकों को जो खुशी मिली उसको बयान नही किया जा सकता। इस आदेश के लिए दिल्ली में वाहन मालिको/चालकों के हित मे कार्य करने वाली सभी संस्थाओं, एसोसिएशन, यूनियन, एनजीओ और ट्रस्ट द्वारा परिवहन विभाग के आला अधिकारियो को धन्यवाद भी किया गया।

आज इस खुशी को प्राप्त कर जिन वाहन मालिकों ने अपने वाहनों के परमिट के नवीनीकरण हेतु आनलाइन आवेदन प्रक्रिया पूर्ण कर फीस जमा करने पहुंचे तो सभी देख कर अचंभित रह गए क्योंकि नवीनिकरण फीस के साथ दूसरी फीस 5000 रुपए (लाइसेंस फीस रेडियो टैक्सी) भी मांगी जा रही है।

आपकी जानकारी हेतु बता दें दिल्ली में जब आम आदमी के लिए रेडियो टैक्सी स्कीम खोली गई थीं तब इस पर पहली बार परमिट आवेदन के साथ 5000 रुपए बैंक गारंटी के रुप में जमा करवाने थे और जिस भी वाहन मालिक ने 1आरटी का परमिट लिया बैंक गारंटी जमा करवाई।

बिना किसी आदेश / दिशा निर्देश जारी किए परमिट नवीनीकरण के साथ लाइसेंस फीस के नाम पर किसी वाहन मालिक से पैसा जमा करवाना सिर्फ परिवहन आयुक्त आशीष कुंद्रा के कार्यकाल में ही संभव है और उन्होने यहां भी एक तरफ वाहन मालिकों की जायज मांग को मान कर तारीफे प्राप्त की ओर साथ ही गलत तरीके से फीस लगवाकर दिल्ली सरकार के राजस्व में इज़ाफ़ा करवाने की तारीफ़ प्राप्त करने का रास्ता अपना लिया।

*ट्रांसपोर्ट ऑपरेटर्स एंड लेबर वेलफेयर एसोसिएशन इस तरह गलत तरीके से ली जाने वाली फीस का सख्त विरोध करती हैं और इसे तत्काल प्रभाव से नवीनीकरण से हटाने की मांग करती हैं।*

संजय बाटला

परिवहन आयुक्त किस पर चाहते हैं नियंत्रण :- वाहन मालिक या प्रदुषण

June 23, 2023

उच्चतम न्यायालय के आदेश का नाम लेकर पक्षपात पूर्ण डीजल वाहनों के पंजीकरण खोलने के आदेश के खिलाफ़ वाहन मालिकों की बगावत शुरू

परिवहन विभाग द्वारा दिल्ली में डीजल वाहनों के पंजीकरण को जिन शर्तों के साथ शुरू करने के आदेश पारित किए हैं उससे दिल्ली के अधिकतर परिवहन क्षेत्र से जुड़े मालिको, संस्थाओं, यूनियन, एनजीओ एवम् ट्रस्टों में रोष है।

बड़ा सवाल:- क्या परिवहन विभाग द्वारा दिल्ली में प्रदुषण पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से डीजल वाहनों का व्यवसायिक गतिविधियों के लिए पंजीकरण बंद किया था ?

अगर दिल्ली में डीजल वाहनों का पंजीकरण प्रदुषण नियंत्रण के उद्देश्य से लगाया गया था तो यूरो VI डीजल इंजन के वाहनों से निकलने वाला प्रदुषण सीएनजी से चलने वाले वाहनों से भी कम है की रिपोर्ट उजागर होने के साथ ही दिल्ली परिवहन विभाग ने दिल्ली में प्रदुषण नियंत्रण की गंभीरता को समझते हुए तत्काल प्रभाव से दिल्ली में डीजल वाहनों का पंजीकरण क्यो नही शूरू किया ?
इसके बावजूद दिल्ली परिवहन विभाग के द्वारा कुछ महीनों पहले दिल्ली से अंतरराजकिय बस रूट पर डीजल बसों द्वारा प्रीमियम बस सेवा शुरू करने के उद्देश्य से कानूनी राय ली गई थी और उसमे भी डीजल यूरो VI वाहनों के पंजीकरण को हरी झंडी मिल गई थी,
अब पिछले महीने एक एसोसिएशन द्वारा उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर डीजल बसों के पंजीकरण शुरू करने के आदेश पारित करवाए गए

इन सभी बातों को ध्यान में रखकर देखा जाए तो दिल्ली में डीजल वाहनों के पंजीकरण में किसी प्रकार की रुकावट /शर्त नही होनी चाहिए पर दिल्ली के परिवहन आयुक्त द्वारा शर्तो के साथ आदेश पारित करवाना यह सिद्ध करता है की वह नही चाहते की दिल्ली का वाहन मालिक जो दिल्ली की जनता और बाहरी राज्यों / विदेशी पर्यटकों को सुरक्षित और विश्वसनीय सेवा प्रदान करते आ रहे हैं वह दिल्ली में अपना निजी डीजल वाहन पंजीकरण करवा पाए

परिवहन आयुक्त आशीष कुंद्रा को दिल्ली के सभी पर्यटक स्थलों, धार्मिक स्थलों, अन्य सभी घूमने- देखने के स्थलों और व्यवसायिक बाजारों में दिल्ली से बाहर के राज्यो के व्यवसायिक नम्बर के पंजीकृत अनगिनत डीजल वाहनों का खड़ा होना और दिल्ली की सड़को पर 24 घंटे 12 महीनों तक बेखौफ चलते रहना नही दिखता या देखना नही चाहते ?

क्या परिवहन आयुक्त आशीष कुंद्रा का यह मानना है की दिल्ली से बाहर के राज्यो के यूरो-II और यूरो-IV के पंजीकृत हजारों की तादाद के डीजल वाहन जो बेखौफ दिल्ली की सड़को पर चल रहे हैं से प्रदूषण नही होता ?

क्या प्रदुषण सिर्फ दिल्ली के पंजीकृत डीजल वाहनों से ही निकलता है इसलिए दिल्ली में डीजल वाहनों का पंजीकरण बंद कर रखा हैं चाहें वह यूरो VI इंजन के डीजल वाहन ही क्यों ना हो जिनका प्रदूषण सीएनजी वाहनों से भी कम है (गूगल सर्च कंपेरिजन रिपोर्ट की कॉपी स्लगन)

स्पेशल कमिश्नर शिल्पा शिंदे द्वारा हस्ताक्षरित आदेश NO. F.DTO(HQ)/ 2022/11/CD No. 075689410/59404 Dated June, 23, 2023. जारी हुआ। इस आदेश में कहा गया है दिल्ली में बीएस 6 डीजल बसें उन्ही वाहन मालिकों की पंजीकृत होंगी जिनके पास विदेश मंत्रालय, दूतावास या किसी मंत्रालय या अन्य अथॉरिटी द्वारा वाहनों का मांग पत्र (एग्रीमेंट) उपल्ब्ध होगा और पंजीकृत करे गए वाहन G 20 शिखर सम्मेलन में चलेंगे । 7+1 एवम् उससे अधिक सवारी क्षमता के डीजल यूरो 6 वाहनों को दिल्ली परिवहन विभाग द्वारा पंजीकृत करने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है । पंजीकरण करने से पहले परिवहन विभाग का शाखा प्रबंधक इस बात की जांच करेगा की यह वाहन G20 शिखर सम्मलेन से जुड़ा है, (आदेश की कापी स्लगन)

दिल्ली के छोटे बड़े ट्रांसपोर्टर्स को ना तो G20 शिखर सम्मलेन में काम मिला है और ना ही मिलेगा, लेकिन हर साल देश और विदेश से लाखों पर्यटक दिल्ली में आते है और दिल्ली के पंजीकृत वाहनों के ना उपल्ब्ध होने पर अन्य राज्यों के पंजीकृत डीजल वाहनों का प्रयोग करने को मजबूर रहते हैं । दिल्ली के साधन संपन्न ट्रांसपोर्टर्स दुसरे राज्यों में डीजल बसें पंजीकृत करवा कर दिल्ली में चलाते हैं और अन्य ट्रांसपोर्टर अपने रोजगार को बनाए रखने के लिए बाहरी राज्यों के डीजल वाहनों को किराए पर लेने के लिए मजबूर रहते है ।

अब सवाल यह उठता है बाहरी राज्यों के पंजीकृत डीजल वाहनों के बेखौफ दिल्ली की सड़को पर 24 घंटे चलन के बावजूद कैसे परिवहन विभाग करता है प्रदुषण नियंत्रण? यह बात आज तक दिल्ली की जनता और वाहन क्षेत्र के व्यवसाई नही समझ पाए ।

यहां एक बात समझ आती है दिल्ली परिवहन विभाग और दिल्ली सरकार ग्रीन टैक्स के नाम पर जो करोड़ों रुपए बटोर रहे हैं अगर दिल्ली में डीजल वाहनो का पंजीकरण शुरू कर देंगे तो बटोरे जाने वाले करोड़ों रुपए में गिरावट आ जाएगी जो किसी भी क़ीमत पर परिवहन आयुक्त आशीष कुंद्रा को गवारा नहीं होगा, प्रदूषण नियत्रण का नाम लेकर डीजल वाहनों का पंजीकरण रोकना तो सिर्फ एक दिखावा है।

दिल्ली परिवहन विभाग की जब इच्छा होती है वायु गुणवता पर्यावरण के नाम पर दिल्ली के पंजीकृत बीएस 4 डीजल टैक्सियों को बंद करने के आदेश पारित कर बीएस 6 डीजल टैक्सी को चलने की इजाजत दे देता हैं। जब दिल्ली में यूरो 6 डीजल वाहनों का पंजीकरण ही बंद हैं तो बाहरी राज्यों के पंजीकृत वाहनों के लिए दिल्ली में चलने के लिए छूट क्यों?

कुछ महीनों पहले स्वयं दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने यह स्वीकार किया और बयान दिया था बीएस 6 डीजल वाहन पर्यावरण के अनूकूल है और पर्यावरण के लिए सीएनजी वाहनों से बेहतर है.

सबसे बड़ा सवाल G 20 शिखर सम्मेलन अक्टूबर 2023 में खत्म हो जायेगा क्या दिल्ली परिवहन विभाग जिन वाहनों को जी20 के लिए पंजीकृत कर रहा है उनका पंजीकरण अक्टूबर में रद्द करेगा?

दिल्ली सरकार और परिवहन विभाग अगर दिल्ली के छोटे ट्रांसपोर्टर्स के साथ भेद भाव करेगें तो G20 शिखर सम्मेलन पर विरोध प्रदर्शन होगा और इस विरोध प्रदर्शन के लिए जिम्मेदार होगें दिल्ली सरकार और परिवहन विभाग दिल्ली

दूसरा बड़ा सवाल:- दिल्ली की जनता और ट्रांसपोर्टर्स के हित के सारे फैसलो को करवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट जाना ही जरूरी है तो फिर लोकतंत्र या दिल्ली में चुनाव से बनी सरकार और सरकारी विभाग खास तौर से परिवहन विभाग दिल्ली की क्या है जरुरत ?

तीसरा सवाल:- दिल्ली बॉर्डर से अंदाजन आधा किलोमीटर की दूरी पर लाखों डीजल वाहन पंजीकरण करवाकर लोग दिल्ली में चलाते है, फिर दिल्ली में पंजीकरण पर रोक क्यों ?

परिवहन आयुक्त आशीष कुंद्रा जवाब दें क्या हमारा दिल्ली का नागरिक होना और वाहन क्षेत्र मे काम करना ही सबसे बड़ा कसूर और जुर्म है?

दिल्ली के वाहन मालिको को दिखाया अपने दिमाग का खेल

June 20, 2023

परिवहन आयुक्त दिल्ली आशीष कुंद्रा ने रचा एक और इतिहास और सभी को दिखाया अपने दिमाग का एक और खेल

इंडियन टूरिस्ट ट्रांसपोर्टर्स एसोसिएशन के द्वारा दिल्ली में डीजल वाहनों के पंजीकरण को खुलवाने के उद्देश्य से उच्चतम न्यायालय में याचिका IA 81494 और IA 81464 / 2023 दायर की जिस पर उच्चतम न्यायालय में 15 मई 2023 को सुनवाई कर दिल्ली में आने वाले जी 20 को देखते हुए तथा नए मानकों के आधार पर यह सिद्ध हो चुका है डीजल इंजन यूरो VI द्वारा चलने वाले वाहनों से निकलने वाला प्रदुषण सीएनजी से भी कम है और इस बात को अदालत द्वारा अपनी सहायता हेतु रखे एमिकस क्यूरी द्वारा भी माना और न्यायालय में बताया की यूरो VI डीजल वाहनों के लिए एनजीटी या उच्चतम न्यायालय द्वारा कोई रोक नहीं और इसी आधार पर उच्चतम न्यायालय द्वारा दिल्ली में डीजल वाहनों के पंजीकरण की पाबंदी को हटा दिया और डीजल वाहनों के पंजीकरण को हरी झंडी दिखा दी।

वहीं
इंडियन टूरिस्ट ट्रांसपोर्टर्स एसोसिएशन ने रिट याचिका (सिविल) 8142 /2023 और सी.एम. अपील 31279 / 2023 और सी.एम. अपील 31278 / 2023 दायर करी थी और उसकी सुनवाई 02 जून 2023 को उच्चतम न्यायालय में की गई और उस में एसोसिएशन द्वारा न्यायालय को बताया गया दिल्ली में जी 20 के लिए आने वाले शीर्ष नेताओं के लिए कुछ ऐसे वाहनों की मांग की गई है जिनमे स्पीड कंट्रोल डिवाइस इनबिल्ट नही आता और ना ही उन वाहनों के लिए बाहरी स्पीड कंट्रोल डिवाइस उपल्ब्ध है और ऐसे में हम किस प्रकार से उन वाहनों को उपल्ब्ध करवा पाएंगे। इस लिए उन वाहनों को जो जी 20 के लिए विशेष रूप में मांगी गई है को बिना स्पीड कंट्रोल डिवाइस दिल्ली परिवहन विभाग द्वारा पंजीकरण को करने के आदेश पारित करे। उच्चतम न्यायालय द्वारा जी 20 में आने वाले शीर्ष व्यक्तियो के लिए जरुरत वाले वाहनों को टैंडर नोटिस में देख कर पंजीकरण करने के निर्देश ) आदेश पारित कर दिए।

अब देखे और जाने दिल्ली परिवहन आयुक्त आशीष कुंद्रा द्वारा रचा गया अपने दिमाग का खेल, मानना पड़ेगा वह ज्ञान में सर्वश्रेष्ठ है तभी तो अपने ज्ञान के बल पर बार बार उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालय, कैट, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, गैजेट नोटिफिकेशन और तो और परिवहन मंत्री दिल्ली सरकार द्वारा पारित आदेशों को दरकिनार करते आ रहे हैं और फिर भी सभी है चुप।

वही अपने दिमाग और ज्ञान का खेल डीजल वाहनों के पंजीकरण को खोलने में कर दिखाया । दो अलग अलग उच्चतम न्यायालय के आदेशों को एक साथ जोड़कर ऐसा आदेश पारित कर दिया जिससे दिल्ली में डीजल वाहनों का पंजीकरण खुल कर भी नहीं खुल पाएगा । दिल्ली के आल इंडिया परमिट, टूरिस्ट परमिट और सीसी इंटरस्टेट वाहन मालिक यह सोच कर खुश ना हो की दिल्ली में अब बाहरी राज्यों के डीजल वाहन देखने को कम मिलेगा क्योंकि अब दिल्ली में उनका अपना दिल्ली का पंजीकृत डीजल वाहन जनता को सेवा देने के लिए उपलव्ध होगा।

क्या एनबीएफसी द्वारा की जाने वाली धोखाधडी से वाहन मालिकों को कभी मिल पाएगा न्याय?

June 16, 2023

वाहन मालिकों के साथ एनबीएफसी कंपनियों द्वारा की जाने वाली धोखाधड़ी में किसको दे रहे हैं साथ परिवहन आयुक्त दिल्ली

भारत की राजधानी दिल्ली में मिलीभगत से वाहन मालिको के साथ हो रही धोखाधड़ी से सभी परिचित हैं पर उसके बाद भी चुप है सभी, आख़िर क्यों ?
क्या यह इस तरफ़ इशारा नही करता की सभी (एनबीएफसी कंपनिया, राज्य सरकार, सरकारी अधिकारी, न्याय प्रणाली, प्रशासन) एकजुट है।

क्या ऐसे में कभी मिल पाएगा न्याय दिल्ली के वाहन मालिको को, बड़ा सवाल ?

पहले भी हमने आपको सबूतो के साथ दिखाया कैसे कर रहे हैं एनबीएफसी कंपनियों वाले वाहन मालिको के साथ खुल कर धोखाधड़ी

पहला तरीका :- वाहन मालिक द्वारा कर्जा लिया गया ए फाइनेंस कंपनी से, ए फाइनेंस कंपनी ने वाहन मालिक से जो एग्रीमेंट साइन करवाए उसके आधार पर एचपी (एडिशन) का पत्र दे दिया बी फाइनेंस कंपनी का जिसके अनुसार वाहन के पंजीकरण प्रमाण पत्र पर एचपी (एडिशन) हुई बी फाइनेस कम्पनी की,

वाहन मालिक किस्त देता रहा ए फाइनेस कम्पनी को और उससे उसके बदले रसीद भी प्राप्त करता रहा पर जब वाहन मालिक एनबीएफसी से एनओसी यानी एचपी (टी) पत्र मांगता है तो पता चलता है की जिस एनबीएफसी के नाम की एचपी (एडीशन) वाहन के पंजीकरण प्रमाण पत्र पर है उसकी रकम बकाया है।

दूसरा तरीका :- वाहन मालिक एनबीएफसी से कर्जा लेता है लाख रुपए जो वह भारत सरकार के नियम के बाहर जाकर नगद में भुगतान कर देते हैं और खाली फाइल साइन करवा लेते हैं और बाद में उसकी तरफ पेमेंट लेने के बाद भी कई लाखों का बकाया दिखाते है और उसके एवज में गलत तरीके से वाहन को अपने कब्जे में लेकर किसी और को बेच देते हैं।

तीसरा तरीका:- वाहन मालिक कर्जा लेता है जिस एनबीएफसी से उसी की एचपी (एडिशन) वाहन के पंजीकरण प्रमाण पत्र चड़वा देता है पर कोर्ट से कोई अन्य नाम की एनबीएफसी अपनी ताकत / जानकारी और मिलीभगत से वाहन को उठाने के आदेश लाकर वाहन उठा लेता है,

चौथा तरीका:- वाहन मालिक कर्जा प्राप्त करता है एक्स एनबीएफसी से और एक्स एनबीएफसी वाला उस वाहन की एनओसी वाई एनबीएफसी के पास गिरवी रख देता है और वाई एनबीएफसी वाला मांग करता है कर्जे से कई गुना राशी,

इन सभी तरीकों के अलावा अन्य कई प्रकार के तरीके अपनाकर वाहन मालिकों से कर्ज के पैसों के साथ वाहन को भी अपने कब्जे में लेने की धोखाधडी दिल्ली में आम बात हो रही है और यह सब हो रहा है मिलीभगत से जिसके अनगिनत सबूत उपल्ब्ध है

फिर भी वाहन मालिको को न्याय दिलाने के लिए कोई जागने को तैयार नहीं
a. ना तो चीफ जस्टिस माननीय उच्चतम न्यायालय,
b. ना ही उपराज्यपाल दिल्ली,
c. ना ही चीफ जस्टिस दिल्ली उच्च न्यायालय
d. ना ही मुख्य सचिव दिल्ली सरकार,
e. ना ही दिल्ली सरकार और उसके मंत्री और
f. ना ही परिवहन आयुक्त दिल्ली, आखिर क्यों बड़ा सवाल

आपकी जानकारी हेतु बता दें दिल्ली में बैंको और एनबीएफसी को डंडे के जोर पर परिवहन आयुक्त द्वारा इंटीग्रेट करवा दिया पर वाहन मालिको के हित मे जो सबसे महत्वपूर्ण और जरूरी कार्य था कर्जे की रकम और कर्जे की रकम देने का सबूत, जिसके आधार पर वाहन के पंजीकरण प्रमाण पत्र पर परिवहन विभाग एचपी (एडिशन) करता है का उसी इंटीग्रेटेड प्रोग्राम में नज़र नही आना, आखिर क्यों बड़ा सवाल ?

आपकी जानकारी हेतु बता दें इससे पूर्व विशेष आयुक्त परिवहन के लिखित दिशा निर्देश के आधार पर लोन एग्रीमेंट कापी जमा नही होने पर एचपी एडिशन वाहन के पंजीकरण प्रमाण पत्र पर नही चढ़ाई जाती थीं।

कोर्ट में न्याय प्रदान करने के लिए विराजमान न्यायधीश एनबीएफसी के द्वारा दिए गए बयानों और कागजातो की जांच करवाए बिना और आंख बंद रख कर गलत एनबीएफसी को वाहन उठा लेने के आदेश पारित कर रहे हैं, कैसा है यह न्याय और न्याय प्रदान करने का तरीका

इस मिलीभगत के रहते कैसे मिलेगा किसी को न्याय और कैसे इसके प्रति उच्चतम न्यायालय / भारत सरकार द्वारा पारित आदेशों का पालन हो सकता है, बड़ा सवाल

दुनिया के आठवें अजूबे को जाने,

June 14, 2023

*दुनिया में अब तक थे सात अजूबे अब जाने दुनिया के आठवें अजूबे के बारे में “परिवहन विभाग दिल्ली”*

*तकनीकी पदो पर गैर तकनीकी कितने सक्षम*

*दिल्ली परिवहन विभाग दुनिया का प्रथम ऐसा विभाग जहा बिना तकनीकी पदो पर स्वयं आयुक्त परिवहन गैर तकनीकी अधिकारियो को नियुक्ति दे कर करवा रहें हैं काम*

आशीष कुंद्रा ने जब से दिल्ली परिवहन आयुक्त का कार्य भार संभाला तभी से विभाग की कार्यप्रणाली में बदलाव करके दिखाना शुरू कर दिया था। इन्ही बदलावों और हर कार्य को जनहित का नाम देकर प्रथम दिन से ही सुर्खियों और विज्ञापनों में छाए रहे हैं।

कामों की श्रखला तो इतनी लम्बी है की उसे किसी भी साधारण ख़बर में प्रस्तुत किया ही नहीं जा सकता कहावत में इसे यह कह सकते है “ऊट के मुंह में जीरा” .

अपनी इच्छा के कार्य पूरा करने के लिए परिवहन आयुक्त आशीष कुंद्रा द्वारा

1 उच्चतम न्यायालय के आदेशों को दरकिनार कर दिखाया

2. सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के द्वारा जारी गैजेट नोटिफिकेशन को दरकिनार कर दिखाया,

3. राज्य सरकार के परिवहन मंत्री के दिशा निर्देश/ आदेश को दरकिनार करके दिखा दिया। इतने प्रतिभाशाली है परिवहन आयुक्त आशीष कुंद्रा अपनी इच्छा के कार्य को पूरा करने के लिए ।

हम आपको जो बताने जा रहे हैं वह इस लिए विशेष है क्योंकि आज से पहले आपने ना तो ऐसा सुना होगा और ना ही कभी कहीं देखा होगा, किसी एचओडी / प्रशासनिक अधिकारी द्वारा किसी तकनीकी पद पर गैर तकनीकी अधिकारी को नियुक्त कर देना वह भी कैट/माननीय उच्चतम न्यायालय के दिशा निर्देश को दरकिनार कर

विश्व में दिल्ली का परिवहन विभाग पहला ऐसा विभाग बन गया जहां तकनीकी कर्मचारियों / तकनीकी अधिकारियो के पदों पर स्वयं अपनी इच्छा से परिवहन आयुक्त गैर तकनीकी लोगो को नियुक्त कर रहे हैं और उनकी ताक़त का अनुभव करे की उनके द्वारा ऐसा करने पर *दिल्ली प्रशासनिक के मुख्य उपराज्यपाल दिल्ली, मुख्य सचिव दिल्ली, के अलावा मुख्य्मंत्री दिल्ली एवम् न्यायिक प्रणाली में से भी किसी ने जवाबदारी नही समझी।*

* यह बात विशेष इसलिए भी है क्योंकि अगर “दिल्ली परिवहन विभाग को उदाहरण की तरह देख कर सभी विभागों में आने वाले एचओडी / प्रशासनिक अधिकारी तकनीकी पदो पर अपने पद की ताकत का प्रयोग कर गैर तकनीकी लोगो की नियुक्ति करना शुरू कर दें “।*

a. हॉस्पिटल में डॉक्टर की जगह आम आदमी,
b. इंडस्ट्री में मिस्त्री की जगह आम आदमी,
c तकनीकी विभाग में वेल्डर की जगह आम आदमी,
d. प्रशासनिक विभागों में पढ़े लिखे पदो पर अनपढ़ आदि

*ऊपर लिखित तकनीकी पदो पर गैर तकनीकी व्यक्ति की नियुक्ति होने से कैसा अनुभव उत्पन्न होगा सोच के देखे और धन्यवाद करे परिवहन आयुक्त आशीष कुंद्रा का जिन्होंने जनहित के नाम से यह कर दिखाया और उन सभी का जिन्हे इस पर जवाब मांगने का हक है पर फिर भी जवाब नहीं मांगा।*