अन्ना, क्या यह गांधी की भाषा है ?
भारत माँ की शान में,
बुर्जुग अन्ना बैठ गये है
रामलीला मैदान में।
अन्ना आपसे देश को
बहुत आशा है।
मिल रहा समर्थन भी,
अच्छा खासा है।
सिर पर गांधी टोपी पहने,
हाथ में लेकर झण्डा,
जय जयकारे लगा रहे है,
भ्रष्टों के कारनामे बांच रहे है
भ्रष्टाचार पर नाच रहे है,
क्या खूब
करप्शन उत्सव है !
कहा जा रहा है,
यह क्रान्ति है, यह विप्लव है।
गली गली से
रामलीला तक
`मैं अन्ना हूँ`
का अजब तमाशा है।
पर लेन देन ही भ्रष्टाचार है
लोकपाल में करप्शन की
इतनी सीमित क्यों परिभाषा है ?
अन्ना आपसे देश को बहुत आशा है।
इस आन्दोलन से –
बरसों बाद लोग फिर जागे है।
गांधी के हत्यारे सबसे आगे है।
सिब्बल को वे `कुत्ता` कहते,
दिग्गी को वे `चूहा` मानते।
उनके लिये –
सोनिया भ्रष्टाचार की मम्मी है।
राजनीति को कहते, बहुत निकम्मी है।
वे सरकार को नंगा करेंगे,
नही ंतो जमकर पंगा करेंगे।
विरोधियो ं को भेजेंेगे पागलखाने
फिर क्या होगा, रामजाने।
किरण जी ने कह दिया है-
अन्ना ही भारत है,
भारत है वो अन्ना है।कुछ भी कहते, कुछ भी बकते
ना ही रूकते, ना ही थकते।
मचा रखा एक शोर चारो ओर है,
जो अन्ना संग नहीं , वे सब चोर है।
बोलो गां धीवादियांे,
क्या यह भाषा, गांधी की भाषा है ?
उत्तर दो अन्ना ,देश को जिज्ञासा है।
अन्ना आपसे देश को बहुत आशा है।
अब `अ` से ` अन्ना `है
और है ` अ` से ` अराजकता `
`अ` से आवारा भीड़ भी है
और है उसके खतरे भी,
आज अगर ये जीत जायेंगे
कल फिर से ये दिल्ली आयेंगे
दुगने जोर से चिल्लायेंगे
आरक्षण को खत्म करायेंगे
संविधान को नष्ट करायेंगे
लोकतंत्र की जगह
तानाशाही राज लायेंगे
फिर वो होगा, जिसकी हम को
सपने में भी नहीं आशा है।
जन मानस में बढ़ने
लगी हताशा है।
अन्ना आपसे देश को बहुत आशा है।
मगर निराश न हों
हताश न हों
उठो, देशवासियो ं,
गरीब, गुरबों,
मजदूरों, किसानों
दलितों, आदिवासियों
जवाब दो
इस अराजक आवारा भीड़ को
कि कोई हमारे लोकतंत्र को
`बंधक` नहीं बना सकता
और अपनी शर्तों पर
डेमोक्रेसी को नहीं चला सकता।
हमें अपनी आजादी
अपना संविधान
अपना लोकतंत्र
और अपना मुल्क
बेहद प्यारा हैजिसे एक ` हजारे ` ने नहीं `हजारा`ेें ने
लाखों और करोड़ ोंे ने
अपने खून, पसीने से संवारा है।
यह प्रण है हमारा –
हम `जनता` के नाम पर
असंवैधानिक आचरण चलने नहीं देंगे
`जनलोकपाल ` की आस्तीन में
`तानाशाही` के सांप को पलने नहीं देंगे।
हाँ, हम उठ खड़े होंगे
चीखेंगे और चिल्लायेंगे
कि हमें हमारा लोकतंत्र चाहिए
हमें हमारा सं विधान चाहिए
हमें हमारी आजादी चाहिए।
कि हम निर्भीक होकर
खुली हवा मे सांस लेना चाहते है,
हमंे मजबूर मत करो,
हमें पानी में चांद मत दिखाओं
जन लोकपाल के नाम पर मत भरमाओं,
हम जानते है
एक कानून नहीं बदल सकता है
देश की तकदीर
लोकपाल नहीं मिटा सकता है
भ्रष्टाचार
क्योंकि भ्र ष्टाचार तो
इन चतुर सयानों के दिमागों में है
इनकी वर्ण व्यवस्था, जाति प्रथा
और पुरातन संहिताओं में है।
हम उस भ्रष्टाचार से सदियों से सन्तप्त है
उसके अत्याचार, उत्पीड़न और अत्याचार से त्रस्त है
जिसमें लिप्त है सब।
और अन्ना आप भी,
कभी नहीं बोले –
छुआछूत पर,
दलितों पर हो रहे अत्याचारों
के विरूद्ध,
आदिवासियों के विस्थापन के खिलाफ,
क्यों चुप रहे
अन्ना आप ?
खैरलांजी पर, सिंगुर, नंदीग्र ाम,
पोस्को, जेतापुर
क्या क्या गिनाऊं
क्या यह भी कहूँकि आपके ही आदर्श गांव रालेगण सिद्धि में
दलितों को
क्यों नहीं मिल पाया सामाजिक न्याय
और आपके ही राज्य में
आत्महत्या करने वाले लाखों किसानों को,
क्यों नहीं बचा पाये ?
तीन साल की एक बच्ची
जो नहीं समझती
कि `जनलोकपाल` क्या है ?
और क्या है भ्र ष्टाचार ?
उसका तो अनशन तुड़वाकर
खूब बटोरे गये बाइटस मीडिया पर
लेकिन क्या
ग्यारह बरस से अनशन पर बैठी
पूर्वोत्तर की बेटी
इरोम शर्मिला चानू
आपकोें अपनी बेटी नहीं लगताी,
उसका अनशन कौन तुड़वायेगा,
इन सब पर कब सोचेंगे आप
मराणी मानुष राजठाकरे
और हजारो बेगुनाहों के
नरसंहार के साक्षी
नरेन्द्र मोदी की प्रशंसा
से फुर्सत मिले,
तो जरा सोचना
इनके लिये भी,
क्योंकि अन्ना आपसे देश को बहुत आशा है।
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दिल्ली मे मुख्यमंत्री बनने के बाद जानबूझ कर जो काम नही किए उन कामों को करने की घोषणा उत्तराखंड के वासियों के लिए,
September 20, 2021दिल्ली के माननीय मुख्यमंत्री द्वारा उत्तराखण्ड में की ताबड़ तोड़ घोषणाएं और कहा जो कहता हूं वो करता हूं। अब आप भी सुनें क्या क्या करने की घोषणाएं की आप पार्टी सयोजक अरविन्द केजरीवाल ने , विज्ञापन की फ़ोटो आपके लिए साथ में संलग्न हैं, पढ़िए और देखें अंतर , सरकार बनाने और सरकार बनने के बाद का ।।।।।
1. हर घर में रोजगार, 2. 6 महीने में 1 लाख नौकरी 3. रोजगार मिलने तक हर महीने रूपी 5000 भता 4. नौकरियो में उत्तराखंडियो के लिए 80/ आरक्षण 5. जॉब पोर्टल बनाया जायेगा और 6. रोजगार और पलायन मामलो का अलग मंत्रालय
अब आप ही बताइए आप तो दिल्ली में आप सरकार जहां स्वयं माननीय अरविन्द केजरीवाल मुख्यमंत्री है के द्वारा इनमे से कौन सा काम किया है ???
1. दिल्ली के हर घर में रोजगार दिया या चलता रोजगार भी बंद करवा दिया अपनी छवि को विज्ञापन में दुनियां मे चमकाने के लिए,
2. 6 महीने में एक लाख नौकरी, क्या बात है । दिल्ली में 6 साल में कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों को जो स्वयं मुख्यमंत्री होते हुए पक्का ना कर सका, कानून होते हुए और ना ही सामान वेतन दे पाया और ना ही 6 वर्ष में एक भी नौकरी दे पाया वह माननीय उत्तराखण्ड में सरकार बनाते ही 6 महीने में 1 लाख नौकरी दे देगे ?
3. रोजगार मिलने तक हर महीने रूपी 5000 भता, क्या बात आज तक जो सरकार घोषणा करके बहुत छोटी सी गिनती वाले पारा ट्रांजिट वाहन चालकों को एक बार भी रूपी 5000 नही दे पा रही और नए नए बहाने रोज बता रही है वह वहा सरकार बनते ही रूपी 5000 का भता हर महीने देगी, यहां आप की जानकारी के लिए एक और महत्वपूर्ण जानकारी दे दे की उत्तराखण्ड सरकार ने भारत सरकार द्वारा घोषणा होने से भी पहले वहा के परिवहन क्षेत्र से जुड़े सभी व्यक्तियों को रोड टैक्स माफ़ और अन्य सहायता दी थी जो दिल्ली की सरकार ने किसी को भी नहीं दी। वह पार्टी यह घोषणा कर रही है की वहा सरकार बनते ही हर महीने भता देगी तो दिल्ली की जनता को 6 साल से क्यो नही दिया और कोरोना काल मे जो अन्य राज्यो की सरकार द्वारा छुट दी गई उसे फंड ना होने का बहाना बना कर देने से क्यो इंकार किया ?
4. नौकरियो में उत्तराखंडियो के लिए 80/ आरक्षण, उतराखंड में सरकार बनाने के लिए यह घोषणा तो इतने सालो मे दिल्ली में एक भी नौकरी क्यो नही निकाली और दिल्ली वासियों के लिए 80 प्रतिशत आरक्षण क्यों घोषित नही किया ?
5. जॉब पोर्टल बनाया जायेगा, जब नौकरी निकालनी ही नहीं तो जॉब पोर्टल बनाने या ना बनाने का क्या अर्थ ?
6. रोजगार और पलायन मामलो का अलग मंत्रालय, इसका अर्थ सरकार बनने से पहले ही जनता को सिद्ध कर रहें है कि आप पार्टी की सरकार बनने के बाद पलायन यानी शहर छोड़ कर जाना क्योंकि वहा भी दिल्ली की तरह बाहरी लोगों को वहा के वासियों से भी अधिक तादाद में वोटर बना दिया जाएगा,
यह तो सही है कि कुछ बाते तो बिलकुल सही कही है, पर उतराखड की भोली भाली जनता उसका सही अर्थ समझ पाएगी, यह बड़ा सवाल है ?
जो भी कल वोट डालने के बाद वहा रहें पर माननीय मुख्यमंत्री जी से अनुरोध जो आप बोलते हैं वही करते है और भारत वर्ष में अपनी पार्टी की सरकार बनाना चाहते है तो पहले दिल्ली की जनता को रोजगार, कॉन्ट्रेक्ट कर्मचारियों को पक्का और कानूनी मदद के हकदार को मदद प्रदान करने की कृपा करें, जनहित के पैसों को विज्ञापन और राजनीति के ऊपर न्योछावर करने की जगह,
संजय बाटला
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