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दिल्ली सरकार ने प्रदुषण नियंत्रण के लिए नई एग्रीगेटर नीति बनाई और मांगें सुझाव, जल्द होगी लागू।

February 13, 2022

न्यू एग्रीगेटर पॉलिसी
दिल्ली सरकार ने कहा है कि उसने अपनी एग्रीगेटर नीति के संबंध में विभिन्न पक्षकारों से सुझाव मांगे हैं. इसके तहत चरणबद्ध तरीके से इलेक्ट्रिक वाहन अपनाना अनिवार्य किया गया है. दिल्ली में अब प्रदुषण पर लगेगी रोक, डिलीवरी सेवाओं में इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल होगा अनिवार्य।
दिल्ली में प्रदूषण की समस्या को खत्म करने के लिए केजरीवाल सरकार ने एग्रीगेटर नीती का मसौदा तैयार किया है. इसके तहत इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद अनिवार्य होगी.

दिल्ली की जनता की समस्याओं में सबसे ज्यादा गंभीर है वायु प्रदूषण, जिसे दिल्ली सरकार सिर्फ वाहनों की उत्पत्ति मान रही हैं और वाहनों के प्रदुषण को कम करने के लिए एग्रीगेटर नीति को सार्वजनिक कर दिया है.

गौरतलब है कि दिल्ली सरकार की नजर में वाहनों के कारण दिल्ली में वायु प्रदुषण बेकाबू है और इसी सोच के अनुसार इस नीति का मसौदा तैयार किया गया है.

प्रदूषण कम करने के लिए इस नीति के तहत राइड एग्रीगेटर्स और डिलीवरी सेवाओं को नए वाहनों की खरीद के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद अनिवार्य होगी. इसी के साथ बता दें कि दिल्ली देश में पहला राज्य है जिसने यह कदम उठाया है. इस नीति को लेकर पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली सरकार प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई में ऐसी दूरदर्शी नीतियों को लागू करने में नागरिकों को शामिल करना जारी रखेगी. उन्होंने सभी से नीति के लिए अपनी प्रतिक्रिया और टिप्पणियां भेजने में सक्रिय रूप से शामिल होने का अनुरोध किया.

सरकार की सोच के अनुसार प्रदूषण कैसे होगा काम ?

इस नीति के जरिए सरकार ने 2024 तक वायु प्रदूषण को 30 फीसदी तक कम करने का टारगेट रखा है, एग्रीगेटर्स और डिलीवरी सेवाओं को अगले 3 महीनों में सभी नए दोपहिया वाहनों में से 10 फीसदी और सभी नए चार पहिया वाहनों में से 5 फीसदी इलेक्ट्रिक वाहन सुनिश्चित करने की आवश्यकता होगी. एग्रीगेटर्स और डिलीवरी सेवाओं को मार्च 2023 तक सभी नए दोपहिया वाहनों का 50 फीसदी और सभी नए चार पहिया वाहनों में से 25 फीसदी इलेक्ट्रिक सुनिश्चित करना होगा.

दिल्ली सरकार ने इस एग्रीगेटर पॉलिसी को लागु करने से पहले जनता के मांगे सुझाव । दिल्ली की जनता 14 जनवरी 2022 से निम्नलिखित वेबसाइट पर जाकर अपने सुझाव दे सकती हैं , http://it.delhigovt.nic.in/pis/noc/egazettes.asp पर जा कर जनता 60 दिनों तक अपने सुझाव और आपत्ति बता सकती है.

नीति में क्या होगा काम

दिल्ली सरकार की इस नीति के तहत, एग्रीगेटर्स और डिलीवरी सेवाओं को अगले 3 महीनों में सभी नए ऑनबोर्ड दोपहिया वाहनों में से 10 फीसदी और सभी नए ऑनबोर्ड चार पहिया वाहनों में से 5 फीसदी इलेक्ट्रिक सुनिश्चित करने की आवश्यकता होगी, जबकि मार्च 2023 तक 50 फीसदी दोपहिया और 25 फीसदी चौपहिया वाहनों को इलेक्ट्रिक करना जरूरी होगा.

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने लोगों से नीति पर प्रतिक्रिया और टिप्पणियां भेजने में सक्रिय रूप से शामिल होने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि बढ़ते वायु प्रदूषण को देखते हुए इसे तैयार किया गया है.

पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया कि यह सुनिश्चित करने के लिए कि वाहनों से होने वाला उत्सर्जन कम करने की दिशा में इस नीति का न सिर्फ राष्ट्रीय राजधानी में बल्कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में भी व्यापक असर रहे, दिल्ली सरकार केन्द्रीय वायु गुणवत्ता मिशन (CAQM)के समक्ष एक प्रतिवेदन भी देगी.

जनहित में जारी

संजय बाटला

क्या है गलती हमारी, क्या है किसी के पास जवाब ?

February 11, 2022

एक तनख्वाह या कमाई का रास्ता

कितनी बार टेक्स दूं और क्यों…जवाब है???
मैनें तीस दिन काम किया,

तनख्वाह ली – टैक्स दिया
मोबाइल खरीदा – टैक्स दिया–‘
रिचार्ज किया – टैक्स दिया
डेटा लिया – टैक्स दिया
बिजली ली – टैक्स दिया
घर लिया – टैक्स दिया
टीवी फ्रीज़ आदि लिये – टैक्स दिया
कार ली – टैक्स दिया
पेट्रोल लिया – टैक्स दिया
सर्विस करवाई – टैक्स दिया
रोड पर चला – टैक्स दिया
टोल पर फिर – टैक्स दिया
लाइसेंस बनवाया – टैक्स दिया
गलती की तो – टैक्स दिया
रेस्तरां में खाया – टैक्स दिया
पार्किंग का – टैक्स दिया
पानी लिया – टैक्स दिया
राशन खरीदा – टैक्स दिया
कपड़े खरीदे – टैक्स दिया
जूते खरीदे – टैक्स दिया
किताबें लीं – टैक्स दिया
टॉयलेट गया – टैक्स दिया
दवाई ली तो – टैक्स दिया
गैस ली – टैक्स दिया
सैकड़ों और चीजें ली और – टैक्स दिया, कहीं फ़ीस दी, कहीं बिल, कहीं ब्याज दिया, कहीं जुर्माने के नाम पर तो कहीं रिश्वत के नाम पर पैसे देने पड़े, ये सब ड्रामे के बाद गलती से सेविंग में बचा तो फिर टैक्स दिया—-

सारी उम्र काम करने के बाद कोई सोशल सिक्युरिटी नहीं,कोई मेडिकल सुविधा नहीं, पब्लिक ट्रांस्पोर्ट नहीं, सड़कें खराब, स्ट्रीट लाईट खराब, हवा खराब, पानी खराब, फल सब्जी जहरीली, हॉस्पिटल महंगे, हर साल महंगाई की मार, आकस्मिक खर्चे व आपदाएं , उसके बाद हर जगह लाइनें।।।।

सारा पैसा गया कहाँ????
करप्शन में ,
इलेक्शन में ,
सब्सिडी में ,
मंदिर बनाने में
माल्या जैसों को भगाने में
अमीरों के फर्जी दिवालिया होने में ,
स्विस बैंकों में ,
नेताओं के बंगले और कारों में,
और हमें झण्डू बाम बनाने में ।
अब किस को बोलूं कौन चोर ???

आखिर कब तक मै और हमारे देशवासी यूंही घिसटती जिन्दगी जीते रहेंगे?????

कृपया इसे हर नागरिक को भेजें.
इतना लगान तो अंग्रेज भी नहीं लेते थे…

जनहित में जारी

संजय बाटला

क्या दिल्ली की जनता ने इन्ही कार्यों को करने के लिए आप पार्टी की पूर्ण बहुमत से सरकार बनवाई थी और इन्ही कार्यों के लिए अन्य राज्यो की जनता भी आप पार्टी सरकार बनवाए ?

December 6, 2021

आप पार्टी दिल्ली सरकार क्या अपने संयोजक द्वारा सरकार बनाने के लिए जनता को किए वायदों को पूरा करेगी या सभी राज्यों में सिर्फ वायदों के आधार पर सरकार बनाने की उम्मीद करेगी।

दिल्ली में हर बार आप पार्टी के संयोजक द्वारा कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों को सरकार बनते ही पक्का करने का दावा करना और सरकार बनते ही भूल जाना और उन्हीं दावों को अन्य राज्यो मे सरकार बनाने के लिए घोषित करने का क्या मतलब लगाए सभी राज्यों की जनता ? क्या आप पार्टी संयोजक बताएंगे।

दिल्ली परिवहन निगम द्वारा भारतीय मजदूर संघ द्वारा उठाई मांगो के जवाब (कॉपी सलग्न) से तो यह सिद्ध होता है की आप पार्टी भारत की जनता को वायदों के लालच देकर अपनी सरकार सभी राज्यों में बनाने को अग्रसर है पर सरकार बनते ही बायदो को भूल जाती हैं।

दिल्ली का आज जो हाल है वह पूरा विश्व जानता है
ना कोई पक्की नौकरी
ना भारत की राजधानी में सफाई
ना कोई रोजगार
ना कोई सुरक्षा व्यवस्था
ना ही पब्लिक परिवहन सेवा
ना ही स्वच्छ जल और वायु

जिस दिल्ली ने विश्व में ग्रीन सिटी का अवार्ड पाया था आज प्रदुषण का चैंबर बन गई आखिर किसकी लापरवाही से , बड़ा सवाल ?

जिस समय आप पार्टी सरकार बनी थी उस दिन दिल्ली की आबादी और वोटर गणना से आज कितने गुणा अधिक आबादी बड़ी और कैसे ? उसका क्या कोई जवाब है ।

दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन सेवा के लिए अपने पूरे कार्यकालो में एक भी बस दिल्ली के राजस्व से ना खरीदने वाली आप पार्टी दिल्ली सरकार,
कोरोना काल मे सभी व्यवसायिक वाहनों को खड़ा करवाकर उनसे राजस्व में कमी की बात कर रोड टैक्स जुर्माने के साथ वसूलने वाली आप पार्टी दिल्ली सरकार
किसी भी व्यवसाई को मदद ना प्रदान करने वाली आप पार्टी दिल्ली सरकार

लेकिन अपने वोट बैंक को बनाए रखने के लिए दिल्ली में महिलाओ को वाहन सेवा फ्री, बिजली पानी फ्री, मुसलमान वोट को बनाए रखने के लिए मौलवी साहब को सैलरी आदि देने के लिए राजस्व में कोई कमी ना व्यक्त करने वाली आप पार्टी दिल्ली सरकार।

क्या आप पार्टी इन्ही कार्यों की उपलब्धियों के बल पर भारत सरकार बनाने और जनता की प्रिय होने का विज्ञापनों द्वारा प्रसार करती रहेगी या सच में जनता के लिए सरकार द्वारा उपल्ब्ध करवाने वाले कार्य करके जनता का दिल जीतना पसंद करेगी, बहुत बड़ा सवाल ?

आज तक दिल्ली में लोकपाल की नियुक्ति नहीं होना,
कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों का पक्का ना होना
व्यवसाय से जुड़े व्यक्तियों को कोई मदद नहीं देना
खाली पड़े पदो के बावजूद पक्की नौकरी नहीं निकालना
रोजगार के नए आयाम नही शूरू करना

क्या इसीलिए दिल्ली की जनता ने आप पार्टी की पूर्ण बहुमत से सरकार बनवाई थी और इन्ही कार्यों के लिए अन्य राज्यो की जनता भी आप पार्टी सरकार बनवाए ?

अब जनता स्वयं बताए क्या आप पार्टी की सरकार आने वाले राज्यो के इलेक्शन में बननी चाहिए।

दिल्ली की जनता को जागरूक होने की आवश्यकता है और फ्री की राजनीति से उठ कर अपने लिए नोकरिया और रोजगार गारंटी मांगने की जरूरत है।

जनहित में

संजय बाटला

आप पार्टी द्वारा हरिद्वार (उत्तराखंड) में वोट बैंक के लिए की घोषणाए, कितनी होगी कारगार, बड़ा सवाल

November 23, 2021

आप पार्टी सयोजक दिल्ली में अपने दिए वायदो को पूरा करने के बाद अब अन्य सभी राज्यों में वायदों की झड़ी लगाकर वहा अपनी सरकार बनवाने में जुटे हैं।

दिल्ली में परिवहन क्षेत्र के लोगो से वायदों के बल पर सरकार बनाने के बाद अपने द्वारा किए अधिकतम वायदों को खुद ही भूल चुके माननीय मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल अब उन्हीं वायदों को अन्य राज्यो मे दोहराकर आप पार्टी की सरकार की उम्मीदे अन्य राज्यो मे भी कर रहे हैं।

क्या हमारे माननीय मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल बताएंगे जब वह यह सब काम जिनके वायदे वह हर स्थान पर कर रहे है उन्हे जहा उनकी पूर्ण बहुमत में सरकार है वहा क्यों लागू नहीं कर रहे।

दिल्ली के कांट्रैक्ट कर्मचारियों को ना तो अब तक नियमित किया ना ही उनकी सैलरी पक्को के बराबर की,
ना ही कांट्रैक्ट कर्मचारियों को अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई,

फैसलेस आरटीओ सिस्टम जो दिल्ली में लागू किया क्या दिल्ली के वाहन मालिकों और चालको को उससे फायदा मिला या परेशानियां, क्या कभी जानने की कोशिश की

फ्री की राजनीति से देश की जनता कितनी सुदृढ़ होगी क्या कभी इस पर विचार किया और फ्री की राजनीति की जगह रोजगार उपलब्ध करवाए,

क्या दिल्ली सरकार जवाब देगी
दिल्ली में कितने ऑफिशियल पार्किंग स्थल आप पार्टी के शासन काल मे बनाए गए,

दिल्ली में परिवहन क्षेत्र से जुड़े व्यक्तियों का क्या हाल है कभी जानना चाहा, नहीं।

आखिर किस आधार पर भारत देश के सभी राज्यों की जनता आप के वायदों पर विश्वाश करे, क्या जनहित में आप पार्टी बताएगी

सवाल तो बहुत है पर फ्री की राजनीति के आगे सभी दबे रह जाते हैं।

अब भारत देश की जनता ही फैसला करे की फ्री की राजनीति या सिर उठाकर अपना कार्य, उन्नति और रोजगार
क्या चाहिए, सोचना और उस आधार पर आने वाले इलेक्शन में सभी पार्टियों और उनके नेताओं से पूछे क्या जनता को बिना रोजगार या नौकरी उपलब्ध करवाए देश को विकसित किया जा सकता है ?

जनहित और देश के विकास हेतु

संजय बाटला

दोपहिया वाहन विक्रेता को वाहन क्रेता को वाहन के साथ उच्च श्रेणी/ मानक का हेलमेट देना अनिवार्य, केन्द्रीय मोटर वाहन अधिनियम 138 (f)

November 21, 2021

केन्द्रीय मोटर वाहन अधिनियम के अंतर्गत अधिनियम 138 f के अन्तर्गत सम्पूर्ण भारत देश में दो पहिया वाहनों को बेचने के लिए वाहन के साथ बिना किसी अतरिक्त चार्ज के उच्च श्रेणी / मानक का हेलमेट देना अनिवार्य किया गया है।

ऐसा भीं माना जाता हैं की वाहन बिक्री दस्तावेज में ही वाहन के साथ दिए जाने वाले हेलमेट का पूर्ण ब्यौरा भरना अनिवार्य है पर वाहन विक्रेता बिना इस ब्यौरे को भरे आराम से वाहन बेच रहे हैं और परिवहन विभाग भी उनके द्वारा बिना हेलमेट के ब्यौरे की जॉच किए उसे रजिस्टर भी करते आ रहे हैं और साथ ही उस वाहन बेचने वालों का ट्रेंड सर्टिफिकेट भी नवीनिकरण बिना किसी सवाल के किए जा रहे है ।

किसी भी राज्य में वाहन की बिक्री तभी सम्भव है जब उस राज्य के परिवहन विभाग द्वारा ट्रेंड सर्टिफिकेट लिया गया हों। भारत देश में ऐसे कितने दो पहिया वाहन विक्रेता है जो वाहन के साथ वाहन खरीदने वाले को उच्च श्रेणी/मानक का हेलमेट साथ में दे रहे है।

केन्द्रीय मोटर वाहन अधिनियम में ऐसा प्रावधान होने के बावजूद अगर वाहन विक्रेता/डीलर अधिनियम का उल्लघंन कर रहे हैं तो परिवहन विभाग उनके खिलाफ क्या कार्यवाही कर रहे है और किस आधार पर उनके ट्रेंड सार्टिफिकेट को रिन्यू कर रहे है। बड़ा सवाल ?

परिवहन विभाग की शाखा जिसे ट्रेंड सर्टिफिकेट देने का कार्य दिया गया है क्या वह भी केन्द्रीय मोटर वाहन अधिनियम की जानकारी नहीं रखते या उनके लिए इन बातो की जांच ही अनिवार्य नहीं, क्या परिवहन विभाग के उच्चाधिकारी बताएंगे भारत देश की जनता को।

यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत में सड़क दुर्घटना में दो पहिया वाहन चालकों की गिनती सबसे ज्यादा है और सुरक्षा की दृष्टि में वाहन चालक के पास उच्च श्रेणी/मानक का हेलमेट पहनना अनिवार्य है।

सुरक्षा दृष्टि के लिए बनाए गए नियमों / अधिनियमों की उल्लंघना करने और ग्राहक से धोखा करने वाले को व्यापार का अधिकार और ग्राहक यानी वाहन क्रेता / वाहन चालकों को उस नियम के उल्लघंन पर दंड / जुर्माना / चालान, यह परिवहन विभाग की नीति कहा तक सही है, अब जनता या राज्य सरकार ही बताए ?

दिल्ली सरकार तो दिल्ली की जनता के जनहित में परिवहन विभाग द्वारा बेहतर से भी अधिक बेहतरीन कार्य सेवा प्रदान करने के लिए पहले दिन से विज्ञापनो और अन्य सभी तरीको द्वारा सुर्खियों मे रहकर वाह वाही बटोरने में लगी रहती हैं।

क्या दिल्ली सरकार इस बात का जवाब देना पसंद करेगी (a) दिल्ली की जनता को सुरक्षा हेतू जो हक दो पहिया वाहन खरीदने पर अधिनियम के तहत बनता है उसे मारने वालों को दिल्ली में व्यापार करने का ट्रेड सर्टिफिकेट देने और रिन्यू करने का कारण ?

(b) उस वाहन विक्रेता/ डीलर के खिलाफ केन्द्रीय मोटर वाहन अधिनियम के उल्लघंन की कार्यवाही नही करने का कारण ?

दिल्ली सरकार तो दिल्ली को दुर्घटना मुक्त राज्य बनाने का दावा करती हैं क्या सच में ऐसे तरीको से दिल्ली दुर्घटना मुक्त राज्य बन पाएगा, बड़ा सवाल ?

जनहित और जानकारी हेतु

संजय बाटला

दिल्ली सरकार सिर्फ छोटे छोटे 2 काम कर दे, दिल्ली का प्रदुषण 50 प्रतिशत कम हो जाएगा,

November 15, 2021

दिल्ली सरकार और एमसीडी अन्य तरीकों पर मेहनत करने की जगह आपसी सहमति और ताल मेल बना कर दिल्ली से धूल मिट्टी और कचरा हटवाने का कार्य सही ढंग से कर दे और

दिल्ली सरकार प्रवर्तन शाखा ( दिल्ली परिवहन विभाग और दिल्ली ट्रैफिक पुलिस) को अन्य सभी कार्यों को कुछ दिनो तक बंद करवाकर सिर्फ लाइन ड्राईविंग पर वाहन चलवाने पर अपना ध्यान केन्द्रित करे

तो दिल्ली में प्रदुषण की मात्रा कम से कम 50 प्रतिशत कम हो जाएगा।

क्योंकि दिल्ली में प्रदुषण का मुख्य कारण
धूल मिट्टी और कचरे का मिश्रण हवा में उड़ने और बिना वजह गलत ढंग से वाहन चलाकर जाम लगवाने से होता है।

जिसपर दिल्ली सरकार, परिवहन विभाग और एमसीडी ने कभी भी विचार नही किया और दिल्ली को प्रदुषण का चैंबर बनवा दिया।

ट्रांसपोर्ट आपरेटर्स एंड लेबर वेलफेयर एसोसिएशन यह दावा करती है कि अगर अन्य प्रकार के प्रदुषण मुक्ति के कार्यों के साथ दिल्ली सरकार सिर्फ यह दो कार्य करके देखे तो दिल्ली का प्रदुषण लेवल दिन प्रतिदिन कम होता चला जाएगा।

जनहित में जारी,
संजय बाटला

क्या फ्री के प्रलोभन में समाए लोग कल को नक्सली, उग्रवादी नही बनेंगे, कृप्या बताए ?

November 12, 2021

मुफ़्त दवा, मुफ़्त जाँच, मुफ्त बस यात्रा, मुफ्त मैट्रो रेल यात्रा, मुफ़्त राशन, मुफ़्त शिक्षा, मुफ्त विवाह, मुफ्त जमीन के पट्टे, मुफ्त मकान बनाने के पैसे, बच्चा पैदा करने पर पैसे, बच्चा पैदा नहीं (नसबंदी) करने पर पैसे, मुफ्त स्कूल में खाना, मुफ्त बिजली, मुफ्त तीर्थ यात्रा आदि आदि।

“जन्म से लेकर मृत्यु तक सब मुफ्त। नौकरी या व्यवसाय देने की जगह मुफ़्त बाँटने की होड़ मची है, फिर कोई काम करना क्यों पसंद करेगा ?

क्या देश का विकास मुफ्त मुफ़्त देकर अपनी राजनीति करने से होगा या नौकरी और व्यवसाय के संसाधन देने से ?

क्या आज के राजनेता और खास तौर से आप पार्टी देश में ऐसी पीढ़ी तैयार नहीं कर रहे हो रही है या जो पूर्णतया मुफ़्तखोर होगी!

अगर आप कल को उन्हे काम करने को कहेंगे तो वो क्या काम करेंगे या गाली दे कर कहेंगे कि सरकार क्या कर रही है?

मुफ़्तखोरी की ख़ैरात कोई भी पार्टी अपने फ़ंड से नही देती, वह यह प्रलोभन और लुभावने वायदे टैक्स दाताओं के द्वारा देश के विकास के लिए दिए गए पैसो का इस्तेमाल कर के करती हैं, और अपनी राजनीति को चमकाती है।

यह राजनेता देश में मेहनतकश सभ्य नागरिक नहीं बल्कि “परजीवी” तैयार कर रहे हैं!

देश का हाड़तोड़ मेहनत और अपनी अक्ल लगाकर ईमानदारी से कमाने और टैक्स के रूप में देश के विकास के लिए पैसा भरने वाला बहुसंख्यक मुफ़्तखोर समाज को कब तक पालेगा और कैसे पालेगा ?

जिस दिन आर्थिक समीकरण फ़ेल होगा और सरकार फ्री देने में सक्षम नहीं रहेंगी तब तक इन राजनेताओं द्वारा बनाई गई यह मुफ़्तखोर पीढ़ी काम करने लायक नहीं रहेंगी और जिस ने जीवन में कभी मेहनत की रोटी नही खाई होगी, हमेशा मुफ़्त की खा कर बड़ा हुआ होगा उसे जब मुफ्त की नही मिलेगी तब यह सब या तो नक्सली बन जाएंगे या उग्रवादी, इस तरह के मुफ्तखोर आत्महत्या करना तो पसंद करेंगे परन्तु काम नही !

सोचने की बात है कैसे राजनीतिक दल अपने राजसता के लोभ में समाज और देश का निर्माण कर रहे हैं ?

देश के सभी नागरिकों से टोलवा अनुरोध करता है इस फ्री की राजनीति करने और अपने राजसता के लिए जो हमारे देश के नागरिकों को मुफ्तखोर (परजीवी) बना रहें हैं

उनसे फ्री की जगह अपना हक और आत्मसम्मान मांगें ।

नौकरियां और व्यवसाय के संसाधन मांगें ।

गम्भीरता से चिंतन करिये, क्या हम सही रास्ते पर हैं ?

संजय बाटला

*हरियाणा सरकार ने अपनें राज्य में जनता के लिए किए पैट्रोल डीजल के दामों में करी 12 रुपए की कमी फिर दिल्ली सरकार ने क्यों नहीं की, क्या कोई बता सकता है ?*

November 6, 2021

*हरियाणा में पैट्रोल डीजल 12 रुपए सस्ता फिर दिल्ली में क्यों हैं महंगा, क्या कोई बता सकता है ?*

दिल्ली में जनता की मददगार और जनहित के लिए कुछ भी कर सकने वाली आप पार्टी दिल्ली सरकार।

महिला बस सेवा फ्री,
बिजली पानी फ्री,
धार्मिक स्थल भ्रमण फ्री,
हर क्षेत्र में मदरसे फ्री,
झुग्गी झोपड़ी वालों के लिए सब फ्री।

वोट बैंक की राजनीति और अपने राजस्व में इज़ाफ़ा करने के लिए कुछ भी कर गुजरने वाली आप पार्टी दिल्ली सरकार।

क्या दिल्ली सरकार बता सकती हैं की हरियाणा सरकार द्वारा अपने प्रदेश में जनहित के प्रति डीजल पैट्रोल के दामों में 12 रुपए प्रति लीटर कम किए तो क्या विज्ञापन में अपने आप को सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाली आप पार्टी दिल्ली सरकार ने दिल्ली में 12 रूपए प्रति लीटर से अधिक का दाम पैट्रोल डीजल पर क्यों नहीं कम किया ?

यहां मैं आपको एक सच से अवगत करवाना चाहता हूं पंजाब की पराली का धुआं 40 किलोमीटर दूर विदेश यानी पाकिस्तान में नही जाता और ना ही राजधानी के रास्ते में आने वाले राज्यो मे रूकता है वह तो अपनी देशभक्ति दिखाता हुआ 400 किलोमीटर का सफर पार कर सीधा पिछले 6 सालों से दिल्ली जिसको ग्रीन सिटी का अवार्ड मिला था में ही आकर रुकता है।

अब दिल्ली की जनता ही बता सकती हैं की जब भी दिल्ली की जनता के लिए
1.दवाई की कमी तो भारत सरकार के कारण,
2.ऑक्सीजन की कमी तो भारत सरकार के कारण,
3. हॉस्पिटल की कमी तो भारत सरकार के कारण
4 हॉस्पिटल में बेड की कमी तो भारत सरकार के कारण
5. मृत्यु दर में वृद्धि तो भारत सरकार के कारण,
यानी कोई भी कमी तो उसका कारण हर हाल में कोई और पार्टी या सरकार,

a. लेकिन कोरोना सेस लगाकर टैक्स लेना हो,
b. खड़े करवाए वाहनों से जुर्माने समेत रोड टैक्स मांगना हो,
यानी जहा भी राजस्व में इज़ाफ़ा करने का मौका तो सबसे आगे दिल्ली सरकार।

1. पैट्रोल डीजल पर अपना टैक्स माफ करनें की बात आई तो हाथ खड़े करनें वाली दिल्ली सरकार,
2. अन्य कही भी कानून के अंतर्गत माफी या कम करने की बात आए तो हाथ खड़े करने वाली दिल्ली सरकार,
3. अपने ही द्वारा पारा ट्रांजिट वाहन मालिकों को सिर्फ 5000 रुपए मदद देने की घोषणा करने के बाद ना देने वाली दिल्ली सरकार और
4. ई रिक्शे की खरीद पर सब्सिडी देने की घोषणा करके भी ना देने वाली दिल्ली सरकार

कानून के अंतर्गत या जनहित में आवश्यक रूप में दिए जाने वाली छुट को सिर्फ एक ही बात बोलकर दिल्ली सरकार के पास राजस्व की कमी है इसलिए यह छुट नही दी जा सकती हमेशा मना करनें वाली आप पार्टी दिल्ली सरकार कितनी जनहित और जनता की अपनी मददगार सरकार ।

दिल्ली की जनता कृप्या जवाब जरूर दीजियेगा क्योंकि दिल्ली सरकार उत्तराखंड, पंजाब, यूपी और गुजरात में दिल्ली के लिए अपने कामों के गुणगान करते हुए इसी फ्री का लालच देकर आप पार्टी की सरकार को बनवाने की घोषणा कर रही है।

संजय बाटला

*पुराने वाहन की आरसी पर एचपी (ए) चढ़ने के बाद लिए गए लोन की रकम के लेन देन का बैंक ट्रांजेक्शन जरुरी या नहीं,* बताए ?

November 1, 2021

इनकम टैक्स विभाग द्वारा काले धन पर नियंत्रण रखने के प्रति लेन देन के लिए नियम लागू किए हुए है, जिसके अंतर्गत अधिक नगद राशि से लेन देन जुर्म माना गया है इसमें कुछ छूट है पर उसके लिए अन्य नियम और शर्तें लागू है।

दिल्ली राज्य में काफ़ी समय से ऑटो माफिया के दबदबे की बात सुनने में आती रही हैं लेकिन अगर नियम के अनुसार सभी लेन देन हैं तो ऑटो माफिया का दबदबा कैसे संभव है और क्यों यह बात बार बार सुनने में आती है।

यहां कुछ मुख्य बातें समझने योग्य हैं और उन्हें समझने के बाद सोचने लायक है की ऑटो माफिया कैसे अपना दबदबा कायम रखने में सफल होते हैं।

आप सब जानते हैं कि अगर आप अपने पुराने वाहन पर अपनी जरुरत के लिए लोन लेने जाते हैं तो सभी शर्तों के तय होने के बाद बैंक/फाइनेंस कंपनी वाला पहले आपसे फाइल साइन करवाते हैं और फिर आपको वाहन की आरसी पर उनका एचपी (ए) चढ़ाने के लिए बोलते हैं। आरसी पर उनके नाम का एचपी चड़ने के बाद वह आपको लोन की रकम देते हैं। यह प्रक्रिया है लोन लेने की।

एचपी आरसी पर और लोन एग्रीमेंट फाइल लोन राशि मिलने से पहले ही साइन हो जाने के बाद यह कैसे सिद्ध हो की आपके नाम की आरसी पर जो एचपी चढ़ी उसके एवज में आपको तह सुधा लोन राशि प्राप्त हो गईं, इसको जानने का मात्र एक ही सबूत हैं और वह है लेन देन का बैंक ट्रांसेक्शन ।

परिवहन विभाग का कहना है हमको यह जानना आवश्यक नहीं है की जिस व्यक्ति ने अपनी आरसी पर एचपी चढवाई थीं उसको इसके बदले लोन राशि मिली या नहीं मिली, यह ज़िम्मेदारी स्वयं उस व्यक्ति की हैं जिसने अपनी आरसी पर एचपी चढ़ाने की प्रार्थना की।

अब एचपी चढ़ी है तो उतरवाने के लिए उसी बैंक/फाइनेंस कंपनी से एनओसी जारी होने के बाद परिवहन विभाग एचपी (टी) उतारेगा ।

परिवहन विभाग अपने कानून के अनुसार सही है पर इसके बीच की जो प्रक्रिया थी वो क्या सही थी या नहीं इसका कोई भी गवाह नही, अब आप समझ सकते है की क्यों ऑटो माफिया का दबदबा कायम है।

अब आप बताए की क्या विभाग को इनकम टैक्स विभाग द्वारा जारी दिशा निर्देश के प्रति ओर किसी वाहन मालिक के साथ धोखा ना हो इसके लिए एचपी चढ़ाने के 15 दिन के अंतराल में लोन राशि के बैंक ट्रांजैक्शन को मंगवाना चाहिए या नहीं ?

अगर परिवहन विभाग में बैंक और फाइनेंस कंपनी 15 दिनों में लोन राशि के बैंक ट्रांजैक्शन को जमा नही करवाता तो बिना एनओसी मांगें एचपी (टी) कर दे तो दिल्ली में ऑटो माफिया का दबदबा हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा।

संजय बाटला

क्या सर्विस विभाग सेंसेटिव पदो पर एक ही व्यक्ति को 5 साल से ज्यादा रखे तो उस पर कार्यवाही नहीं बनती

October 30, 2021

दिल्ली की जनता जवाब दे और बताए की दिल्ली सरकार के विजिलेंस विभाग से जो लिस्ट ज़ारी हो रही हैं उन विभागो में किसी भी पद पर अगर स्वयं दिल्ली प्रशासनिक विभाग कायदे कानून को बदलकर या भुला कर किसी कर्मचारी या अधिकारी को समय सीमा से अधिक समय तक रखते हैं तो क्या उस विभाग को या उस पद को सेंसेटिव बनाने की ज़िम्मेदारी प्रशासनिक अधिकारी पर नही बनती।

ऐसी लिस्ट जारी करना और उस विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी को उस पर ध्यान देने के दिशा निर्देशों से ज़िम्मेदारी पूर्ण हो जाती हैं या वह पदाधिकारी अपने पद का दुरुपयोग नहीं करेगा यह सम्भव है ?

बड़ा सवाल पर शायद जवाब देने वाले में से कोई जवाब नही देगा और ना ही प्रशासनिक अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही करेगा।

संजय बाटला