Archive for April, 2023

कलावती हस्पताल में वर्कर यूनियन चुनाव संपन्न,

April 29, 2023

नई दिल्ली। केंद्र सरकार के आधीन कलावती हास्पिटल वर्कर्स यूनियन (रजि.) की कार्यकारिणी के चुनाव संपन्न हो गए है। शुक्रवार को चुनाव अधिकारी अरविंद सरोहा की निगरानी में हुए चुनाव में निम्नलिखित पदाधिकारी एवं कार्यकारिणी के सदस्य निर्वाचित घोषित किए गए हैं।

विक्रम उमारबाल अध्यक्ष, बबीता यादव को – उपाध्यक्ष, महासचिव पद पर यशविंदर लोचव, भोला प्रसाद- सह सचिव, और कोषाध्यक्ष- रमेश प्रशाद निर्वाचित हुए हैं। इसके अलावा कार्यकारिणी सदस्यों के रूप में क्रमशः विजेंद्र खंडेला,विमला,तारा कांत, ,सुनील कुमार,संजय कुमार,और पूनम को सर्वसम्मति से चुना गया है।

इस मौके पर यूनियन के पूर्व अध्यक्ष एस.एस. नेगी ने सभी नवनिर्वाचित टीम को बधाई देते हुए कहा कि आज सरकार, प्रशासन यूनियनों को खत्म करने के नए-नए तरीके अपना रही है।

यूनियन/ कर्मचारी विरोधी नीति को अपनाकर धीरे -धीरे निजीकरण पाॅलिसी के तहत आउटसोर्सिंग, प्राइवेट पार्टनरशिप यानि(पीपीपी) के नाम पर कर्मचारियों की छंटनी जैसी नीतियों के खिलाफ जुझारू यूनियन और कर्मचारियों का एकजुट होना बेहद जरूरी है।

वही नेशनल पब्लिक हैल्थ (एनपीएचए) के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार, महासचिव भारत वीर,और ऑल इंडिया यूनाईटेड ट्रेड यूनियन सेंटर (एआईयूटीयूसी) के प्रदेश अध्यक्ष हरीश त्यागी, जेपीए के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीएस दहिया, हेडगवार हाॅस्पीटल यूनियन के अध्यक्ष विकी कपूर, जीबी पंत कर्मचारी यूनियन के महासचिव पवन वर्मा, लोकनायक पैरामैडिकल टेक्निकल एंप्लॉयज यूनियन अध्यक्ष सुजाता मखीजा, सहित अन्य अस्पताल यूनियन प्रतिनिधि ने नवनिर्वाचित पदाधिकारियों को बधाई दी और कर्मचारी आंदोलन मे हर समय साथ खडे रहने का आश्वासन भी दिया।

समलैंगिक विवाह पर संत समाज में रोष, विश्व हिन्दू परिषद्

April 28, 2023

शुक्रवार, 28 अप्रैल, नई दिल्ली। विश्व हिंदू परिषद दिल्ली प्रांत ने सुप्रीम कोर्ट के समलैंगिक विवाह को अनुमति देने के मामले पर कड़ा विरोध जताया है। विश्व हिंदू परिषद के साथ-साथ दक्षिण भारत एवं उत्तर भारत के संत समाज ने भी दुख व्यक्त करते हुए कड़ा रोष प्रकट किया है।

विश्व हिंदू परिषद दिल्ली प्रांत व संत समाज ने 28 अप्रैल 2023 को संपन्न हुई प्रेस वार्ता में पत्रकारों से बातचीत के दौरान अपनी बात रखते हुए जैन संत पूज्य लोकेश मुनि जी ने कहा कि समलैंगिक विवाह भारत की संस्कृति से मेल नहीं खाता अतः ऐसे किसी भी अधिकार को कानूनन मान्यता देना गलत है।

उन्होंने कहा हम सभी भारत के संविधान और कानून का सम्मान करते हैं हम यह मानते हैं कि हमारा संविधान सबको अपने ढंग से जीने का अधिकार देता है किंतु निवेदन करना चाहते हैं कि समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता प्रदान करना निश्चित रूप से भारत की सभ्यता एवं संस्कृति के खिलाफ होगा, उसके साथ खिलवाड़ करने जैसा होगा।

उनके अनुसार भारत जैसे 135 करोड़ वाली जनसंख्या वाले देश में केवल कुछ लोगों के कहने से 134 करोड़ से भी ज्यादा लोगों की सभ्यता और संस्कृति को खतरे में डाल देना इस पर चिंतन करने की आवश्यकता है।

विश्व हिंदू परिषद के प्रांत अध्यक्ष श्री कपिल खन्ना जी ने कहा कि हम भारत की न्याय व्यवस्था का सम्मान करते हैं। हमने सालों तक राम मंदिर के लिए कोर्ट के सम्मानजनक आदेश का इंतजार किया है आज भी हम भारत की न्याय व्यवस्था में पूरी श्रद्धा रखते हैं और इस व्यवस्था से अपने प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण की उपेक्षा करते हैं।

उन्होंने कहा उपस्थित संत समाज के साथ-साथ सामाजिक व्यवस्था में भी लोग इस व्यवस्था को लेकर द्रवित और चिंतित है। यह आम धारणा है कि समलैंगिकता को मान्यता प्राप्त होने से भारत की संस्कृति और सभ्यता और भारत की मूलभूत धार्मिक भावनाओं को खतरे में डालने जैसा होगा।
पूज्य बौद्ध संत भंते संघप्रिय राहुल का कहना है कि समाज विवाह को परिभाषित करता है और कानून उसे केवल मान्यता देता है।

विवाह कानून द्वारा रचित एक सामाजिक संस्था नहीं है बल्कि यह एक सदियों पुरानी संस्था है जिसे समाज ने समय के साथ परिभाषित और विकसित किया है। एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में चुनाव के द्वारा चुनी गई सरकार लोगों की इच्छाओं को व्यक्त करती है विधानमंडल के माध्यम से व्यक्त की गई जन अभिव्यक्ति से विवाह जैसी संस्था में कोई भी संशोधन प्रभावी नहीं होना चाहिए।इस अवसर पर दक्षिण भारत से पूज्य स्वामी शिवाजी राव, स्वामी रामानन्द स्वामिंगल, पूज्य आत्मानन्द स्वामिंगल, इस्कॉन से मुरली प्रभु सहित विश्व हिंदू परिषद दिल्ली प्रांत अध्यक्ष कपिल खन्ना एवं प्रांत सह मंत्री अशोक गुप्ता ने संबोधित किया।

क्या नियम / सीएमवीआर के अनुसार 15 साल पूरे नही हुए डीजल वाहनों का पंजीकरण रद्द किया जा सकता है, बड़ा सवाल ?

April 26, 2023

परिवहन आयुक्त आशीष कुंद्रा दिल्ली की जनता के प्रति कितने हितकारी,

परिवहन आयुक्त आशीष कुंद्रा दिल्ली की जनता के उन वाहनों को जिनकी उम्र भारत सरकार के द्वारा नियुक्त और सीएमवीआर के अनुसार अभी बची हुई है के पंजीकरण को अपने पद के बल का दुरुपयोग कर कंप्यूटर रिकॉर्ड में रद्द करवा रहें हैं और प्रवर्तन शाखा के अधिकारियों / कर्मचारियों के द्वारा उठवाकर अपनी इच्छा के बाहरी राज्यों में पंजीकृत स्क्रैप डीलरो के हवाले 1 अप्रैल 2023 से करवाते आ रहे हैं । जनहित में परिवहन आयुक्त को अपने पद की ताकत का सही प्रयोग कर दिल्ली की जनता के वाहनों पर कार्यवाही करवाने की जगह

  1. एनजीटी/ माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रदुषण नियंत्रण के मानक वाहन 2 के समय दिए गए दिशा निर्देश के प्रति पुन: विचार याचिका दाखिल करके विधि विधान से पारित गेजेट नोटीफिकेशन की जानकारी देते हुए और सड़को पर उपल्ब्ध मानक वाहन IV और VI के वाहनों के प्रति दिशा निर्देश मांगने चाहिए थे,
  2. दिल्ली में ई किट लगाने वाले उपल्ब्ध करवाने चाहिए थे और
  3. दिल्ली को अपना पंजीकृत वाहन स्क्रैप डीलर मिल सके उसके प्रति कार्य करना चाहिए था

दिल्ली परिवहन आयुक्त जो अपने आप को विश्व विख्यात ख्याति प्राप्त करने के लिए जनहित का नाम लेकर आदेश और दिशा निर्देश जारी करते रहते हैं पर हित करवाते हैं :-
दिल्ली सरकार के राजस्व में,
उद्योगपतियों को,
बड़े स्तर के व्यवसायियों को, और एनबीएफसी कंपनियों को

अब दिल्ली की जनता और परिवहन क्षेत्र से जुड़े छोटे व्यवसाई ( ऑटो/ टैक्सी/ आरटीवी/ ग्रामीण सेवा/ फटफट सेवा/ इको फ्रेंडली सेवा ) स्वयं फैसला करे दिल्ली के परिवहन आयुक्त कितने जनहित के प्रति जागरूक है।

संजय बाटला

दिल्ली में डीजल और सीएनजी वाहनों की आयु सीमा होने के बावजूद वाहन मालिक परेशान,

April 25, 2023

सीएनजी वाहनों की आयु 15 वर्ष, फिर भी व्यवसायिक वाहनों के मालिक हो रहे हैं परेशान जाने क्यों !!!

भारत वर्ष में सिर्फ दिल्ली ही मात्र ऐसा राज्य है जहां वाहनों की आयु होने के बावजूद वाहन मालिक है परेशान और परिवहन विभाग कर रहा है उन पर भयंकर अत्याचार, आख़िर क्यों ?

भारत देश की राजधानी होने के बावजूद दिल्ली की जनता परेशान वह भी परिवहन विभाग और राज्य सरकार की गलत नीतियों के लिए, पर ऐसा है क्यों?

दिल्ली की आम जनता के समय सीमा के बचे वाहनों को समाप्त कर अपने जानकर वाहन स्क्रैप डीलरो को सोपना सिर्फ दिल्ली में ही संभव है क्योंकि दिल्ली की सरकार और परिवहन आयुक्त से बड़ा जनहित का कार्य करने वाला और कोई हो ही नहीं सकता। वह अलग बात है की उसका ठीकरा किसी और पर फोड़ा गया हो जैसे दिल्ली में प्रदुषण की आड़ और एनजीटी/ माननीय उच्चतम न्यायालय के दिशा निर्देश जो वाहन 2 की श्रेणी पर लागू किए गए थे और उसके बाद भारत सरकार द्वारा विधि विधान द्वारा जारी स्क्रैप पालिसी एवम् अन्य गैजेट नोटिफिकेशन जारी होने के बावजूद एनजीटी/माननीय उच्चतम न्यायालय से पुन: विचार या राय लिए बिना अपनी इच्छा के लिए लागू रखा पुराना दिशा निर्देश परिवहन आयुक्त द्वारा, कितना न्यायिक और जनहित का फैसला।

दूसरी ओर व्यवसायिक वाहन मालिको को परेशान करने के लिए अपने द्वारा जनहित में बनवाया ऑनलाइन फेस फ्री आवेदन प्रक्रिया, जिसके माध्यम से आयु बचे हुए वाहनों के लिए भी हो रहे हैं वाहन मालिक परेशान और सभी अधिकारियों से मिल कर धक्के खा रहे हैं पर ना कोई मदद करने को तैयार ना परेशानी से निजात दिलाने को तैयार, हैं ना जनहित

दिल्ली में सीएनजी के सभी वाहनों की आयु 15 वर्ष पर परमिट जारी सिर्फ 8 या 10 साल का, आख़िर क्यों ? है ना जनहित

क्या परिवहन आयुक्त दिल्ली की जनता और सीएनजी वाहन मालिकों को अपने जनहित के नाम से लागू किए गए आदेशों से हो रही परेशानी के प्रति जवाब देंगे ।

संजय बाटला

क्या सही और न्यायिक कार्यवाही करेंगे परिवहन आयुक्त, बड़ा सवाल

April 23, 2023

दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष द्वारा परिवहन विभाग की कार्यशैली पर उठे सवालों पर क्या होगा कुछ, बड़ा सवाल ?

दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा द्वारा दिल्ली के वाहनों की जांच को लेकर और उसके लिए परिवहन विभाग द्वारा मांगे जाने वाले वांछित दस्तावेजों पर उठाए गंभीर सवाल,

सबसे पहले उन्होने बताया की ड्राईवर को वाहन फिटनेस के लिए क्लास लगा कर सर्टिफिकेट लाना अनिवार्य किया हुआ है जिसे सर्टिफिकेट प्रदान करने वाली संस्था द्वारा ऐसे ड्राईवर के हित मे जारी कर दिया जाता हैं जो इस दुनिया में ही नहीं यानी मृत ड्राईवर के नाम।
आप सभी की जानकारी हेतु बता दें दिल्ली परिवहन विभाग द्वारा सिर्फ एक ही संस्था (मानस) को इस सर्टिफिकेट को जारी करने के लिए नियुक्त/ अधिकृत किया हुआ है इसके अलावा अन्य कोई भी इस सर्टिफिकेट को जारी नही कर सकता। वैसे भी आपकी जानकारी हेतु बता दें यह सर्टिफिकेट लेना ड्राईवर के लिए ड्राइविंग लाइसेंस के रिन्यू के समय के लिए अनिवार्य था पर व्यवसायिक लाइसेंस अब 5 साल में एक बार जारी होना शुरु कर दिया गया और हल्के वाहनों के लिए अब व्यवसायिक कैटेगरी के लाइसेंस की अनिवार्यता समाप्त हो गई है। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए दिल्ली परिवहन आयुक्त द्वारा नियम में संशोधन कर इस सर्टिफिकेट की अनिवार्यता वाहनों की फिटनेस के साथ जोड़ दी जिससे इस सर्टिफिकेट को जारी करने वाली संस्था के पास सर्टिफिकेट प्राप्त करने वाले ड्राइवरों की संख्या पहले से भी कई गुणा अधिक हो गई। जब किसी संस्था के हित मे नियम बदले जा सकते है तो उसके द्वारा जारी होने वाले सर्टिफिकेट की जांच कोई कैसे कर सकता है, बड़ा सवाल? इसलिए इस उठाए गए गंभीर मुद्दे पर कोई कार्यवाही होगी उम्मीद कम है पर फिर भी इन्तजार रहेगा की क्या होगी कार्यवायी।

दूसरा बड़ा मुद्दा उठाया गया की वाहन फिटनेस सैंटर में मात्र एक अधिकारी द्वारा जांच कर फिटनेस प्रमाणपत्र जारी किया जाता हैं जिससे वाहन की जांच के लिए पूरा समय प्राप्त नहीं होता और उसके एवज में रिश्वत लेकर फिटनेस सर्टिफिकेट जारी कर दिया जाता हैं।

आपकी जानकारी हेतु बता दें दिल्ली में पंजीकृत ऑटो को दिल्ली में अपने निवास के निकट उपस्थित परिवहन विभाग की किसी भी शाखा में जाकर वाहन जांच प्रमाणपत्र यानी फिटनेस सर्टिफिकेट प्राप्त करने की छूट दी हुई है लेकिन उसके बावजूद दिल्ली में ऑटो के हित के लिए कार्य करने वाली सभी यूनियन, संस्थाओं एवम् नेताओ द्वारा मांग करने के बाद बुराड़ी ऑटो जांच केंद्र (फिटनेस शाखा) में दुबारा जांच का कार्य शुरू करवाने के आदेश पारित हुए । परिवहन विभाग में तकनीकी अधिकारियो की नियुक्ति कई वर्षो से ना करने के कारण तकनीकी अधिकारी है ही नहीं ऐसे में बीजेपी अध्यक्ष द्वारा उठाए गए दूसरे मुद्दे पर भी कोई सही कार्यवाई होगी सिर्फ दिखावे के लिए अधिकारी को बदलने या बिना सबूत के सजा देने के अलावा कोई सही कार्यवाही होगी उम्मीद नहीं पर इंतजार तो करना होगा जनहित में दुनिया के सबसे श्रेष्ठ अधिकारी द्वारा आने वाले आदेश का।

संजय बाटला

जनता की सुरक्षा हेत

परिवहन आयुक्त जनहित के नाम से क्या चाहते हैं करना, बड़ा सवाल ?

April 16, 2023

परिवहन आयुक्त आशीष कुंद्रा को 25 साल पहले किए माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश का पालन करना आज क्यों लगा जरूरी

वर्ष 1997 में यमुना में बस गिरने पर माननीय उच्चतम न्यायालय ने जो आदेश/दिशा निर्देश जारी किए थे उसको 25 साल बीत जानें के बाद सख्ती से लागू करने के पीछे क्या है माजरा, क्या सच में जनहित, जनता की सुरक्षा या माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश/ दिशा निर्देश के पालन के नाम से दिल्ली सरकार के राजस्व में इज़ाफ़ा करवाना।

इस आदेश/दिशा निर्देश में माननीय उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली की सड़को पर से अनाधिकृत कब्जा हटवाने के लिए भी कहा था और साथ ही दिल्ली की सड़को पर बाई लेन अलग से चिन्हित करने की बात भी कहीं थी पर परिवहन आयुक्त द्वारा माननीय उच्चतम न्यायालय के इन दिशा निर्देशों को देखना/ पड़ना ध्यान नहीं रहा और ना ही परिवहन विभाग में तैनात फेलो (एक्सपर्ट) द्वारा भी ध्यान नहीं दिलवाया गया। इसी आदेश के प्रति माननीय उच्च न्यायालय ने सु मोटो लेकर अपने परिवहन विभाग को निर्देश जारी किए थे की दिल्ली में बस क्यू शेल्टर इस प्रकार से बनाए जाए जिससे चलते वाहनों को परेशानी नहीं हो और इस तरह की समय सारिणी जारी की जाए जिससे एक बस क्यू शेल्टर पर एक समय में तीन से ज्यादा बसे खड़ी ना मिले।

अब सवाल यह उठता है ?
** ना तो हल्की गति से चलने वाले वाहनों को लाईन प्रदान की
** ना सड़को से अनाधिकृत कब्जा हटवाया,
** ना सड़को पर बेखौफ अनाधिकृत कब्जा करके रेहड़ी, खोमचा, खोखा बनाने वालो पर कोई कार्यवाही
** ना ही अनाधिकृत रिक्शा जो सड़को पर बेखौफ जाम लगा रहा है के चालको पर कार्यवाही
** ना अनाधिकृत प्राइवेट और बाहरी राज्यों के पंजीकृत वाहनों जो बेखौफ जाम लगा रहे हैं के खिलाफ कार्यवाही,
बस कार्यवाही उसपर जो इन सभी परेशानियों और उनकी बदमाशियों को झेलता हुआ अपने और अपने परिवार के लिए ईमानदारी से रोटी कमाने के लिए वाहन चला रहा है, कितना जनहित और जनता की सुरक्षा को ध्यान रखते हुए किया हुआ सख्ती का आदेश,

परिवहन आयुक्त आशीष कुंद्रा को सिर्फ वही आदेश करने में सख्ती दिखानी होती है जिससे सरकारी खजाने में भयंकर इजाफा करवाया जा सकता है। बस इसीलिए परिवहन आयुक्त को 25 साल बाद आदेश की इस दिशा निर्देश को शक्ति से लागू करना बेहतर और जनहित में दिखा जिससे सरकारी खजाने में वह भयंकर इजाफा करवा सकते है।

जनहित में जारी
संजय बाटला

परिवहन आयुक्त आशीष कुंद्रा की सोच ही कानून, कितना न्यायिक और जनहित, जाने कुछ उदाहरण

April 13, 2023

दिल्ली परिवहन आयुक्त जो आदेश/दिशा निर्देश पारित करे वह ही कानून, जाने सच

भारत की जनता यह भली भांति जानते हैं की भारत देश में विधि विधान द्वारा भारत सरकार द्वारा पारित कर गैजेट नोटिफिकेशन जारी होता है वहीं नियम माना जाता हैं । इसके अलावा यह भी आप सभी जानते हैं की न्यायिक प्रक्रिया कानून को संचालित करने के लिए कार्य कर सकती है ना कि कानून बनाने का कार्य !!!

माननीय उच्चतम न्यायालय/ उच्च न्यायालय/ एनजीटी या अन्य न्यायलय कोई जनहित के लिए आदेश पारित करते हैं और उसके बाद उसी विषय पर भारत सरकार द्वारा विधि विधान के साथ कानून में संशोधन कर जनहित में गैजेट नोटिफिकेशन जारी कर देते हैं तो माननीय उच्चतम न्यायालय एवम् अन्य न्यायलयो के आदेश दिशा निर्देशों को आगे बढ़ाने के लिए राज्य सरकार या राज्य का वह विभाग जिसके लिए आदेश पारित किया गया था को माननीय उच्चतम न्यायालय से उस विषय पर पुन: दिशा निर्देश के लिए पूछना चाहिए पर दिल्ली सरकार और दिल्ली के परिवहन आयुक्त द्वारा इन सभी का कोई महत्व नहीं है वह अन्य बात है की अपनी किसी इच्छा को पूरी करवाने के लिए माननीय उच्चतम न्यायालय में याचिका दाखिल करते रहते हैं।

जनहित के प्रति नए नियम को मानने या उस के प्रति नियम लागू होने के बाद माननीय उच्चतम न्यायालय से उसके प्रति क्लेरीफिकेशन लेना आवश्यक होना चाहिए पर परिवहन आयुक्त की दृष्टि में इसकी जरुरत उन्हे नही है और अगर जनता को जरुरत है तो वह जाए माननीय उच्चतम न्यायालय में, कितना न्यायिक और जनहित की सोच है दिल्ली के परिवहन आयुक्त की

माननीय उच्चतम न्यायालय ने एक याचिका पर परिवहन विभाग को निर्देश जारी किए थे की किसी भी तकनीकी पद पर गैर तकनीकी अधिकारी नियुक्त नही किया जा सकता पर दिल्ली के परिवहन आयुक्त ने तकनीकी पदो पर अपनी तानाशाही ताक़त का प्रयोग कर गैर तकनीकी अधिकारियो को नियुक्ति दे दी और लोगों द्वारा विरोध करने पर भी अपनी जिद पर अंडे रह कर उन्हे नियुक्त ही रखा हुआ है और
दूसरी तरफ जनहित में भारत सरकार द्वारा विधि विधान के अनुसार 2021 में नियम में संशोधन कर गैजेट नोटिफिकेशन जारी किया जिसे परिवहन आयुक्त द्वारा मानने से इस लिए इंकार कर दिया गया क्योंकि उसके लिए माननीय उच्चतम न्यायालय/ एनजीटी द्वारा कई वर्ष पहले दिशा निर्देश जारी किया गया था और उन्हें वह जारी रखना पसन्द है।

अब आप ही फैसला ले कितनी जनहित की सोच है दिल्ली के परिवहन आयुक्त आशीष कुंद्रा की !

भारत सरकार द्वारा डीजल के वाहन की आयु 15 वर्ष रखी गई है और आज भी वह 15 वर्ष ही है
दिल्ली में अगर परिवहन आयुक्त की बात को ही माने की उनके लिए विधि विधान द्वारा जारी जनहित आदेश से ज्यादा महत्वपूर्ण आदेश माननीय उच्चतम न्यायालय/ एनजीटी का हैं तो हम दिल्ली की जनता की तरफ़ से यह जानना चाहते हैं की

  1. माननीय उच्चतम न्यायालय/ एनजीटी द्वारा अपने किस आदेश में यह कहा गया है कि दिल्ली में पंजीकृत डीजल वाहनों की आयु सीमा ही 10 वर्ष की गई और उसका संशोधन गैजेट नोटिफिकेशन विधि विधान द्वारा कब पारित हुआ
  2. किस गैजेट नोटिफिकेशन का प्रयोग कर दिल्ली परिवहन आयुक्त द्वारा 10 वर्ष पूरे हुए डीजल वाहनों का पंजीकरण रद्द किया
  3. माननीय उच्चतम न्यायालय/ एनजीटी द्वारा जब डीजल के वाहनों को दिल्ली की सड़को पर 10 वर्ष तक चलने के लिए दिशा निर्देश जारी किए थे तब दिल्ली में यूरो 2 चल रहा था यानी यह आदेश सिर्फ यूरो वाहन 2 के वाहनों के लिए ज़ारी किया गया था और वह भी सिर्फ दिल्ली की सड़को पर चलने से रोकने के लिए ना की उनकी आयु कम करने के लिए फिर परिवहन आयुक्त द्वारा किस आदेश के आधार पर प्रवर्तन शाखा की ताक़त का दुरुपयोग कर जनता के वाहनों को अपनी मनपसंद दिल्ली से बाहर के स्क्रैप डीलरो को उठवा कर दे रहे हैं।

दिल्ली की जनता के जनहित में पिछले चार सालों से अपना पूरा समय देने वाले परिवहन आयुक्त जनहित में जनता के दिल में उठे इन सवालों का जवाब तो देंगे ही।

जनहित में जारी
संजय बाटला

क्या जनता को सार्वजनिक सवारी सेवा सुचारू रूप में उपल्ब्ध रहेगी, बड़ा सवाल!!!

April 12, 2023

दिल्ली की सड़को से तीन कलस्टर कंपनियों द्वारा चालित बस सेवाए बंद,

दिल्ली में बीबीएम डिपो, कंझावला डिपो और सुनहरी पुला डिपो की बसों को एग्रीमेंट समाप्त होने पर एक साल का एक्सटेंशन देकर दिल्ली की जनता को सेवाएं प्रदान करने के बाद परिवहन विभाग द्वारा एक्सटेंशन ना दिए जाने के कारण सेवाएं ठप हो गई।

कलस्टर एग्रीमेंट के अनुसार परिवहन विभाग चाहता तो एक्स्टेंशन खत्म होने से पहले ही एक साल का एक्स्टेंशन प्रदान कर सकता था पर फिर भी समय पर नहीं लिया गया फैसला, क्या यह ही जनहित हैं
परिवहन विभाग चाहता तो दिल्ली परिवहन निगम की तर्ज पर कलस्टर कंपनियों की बसों को 15 साल तक चलने की इजाजत भी दे सकता था पर क्यों नहीं दी इजाजत यह तो परिवहन विभाग के आला अधिकारी बेहतर जानते होगें क्योंकि डीटीसी को सड़को पर स्टेज कैरेज रूट पर 10 की जगह 15 साल तक चलने की इजाजत परिवहन विभाग के आला अधिकारी द्वारा ही दी गई थी।
एक समान सेवा प्रदान करने वालो के लिए अलग अलग नियम सिर्फ परिवहन विभाग के आला अधिकारी ही ले सकते है।
डीटीसी चल सकती है:- 15 साल
कलस्टर चल सकती हैं:- 10 साल और आला अधिकारी की मेहरबानी हो तो दो बार एक एक साल का एक्स्टेंशन
आरटीवी मिनी बस चल सकती है :- 10 साल
आपकी जानकारी हेतु बता दें की यह तीनो सेवाएं स्टेज कैरिज परमिट पर दिल्ली की जनता को सार्वजनिक सवारी सेवा प्रदान करती है और तीनो के लिए अलग अलग नियम, कितना जनहित

संजय बाटला

जनता के वाहनो को अपनी इच्छा के स्क्रैप डीलरो को सुपुर्द कर स्क्रैप करवाना, क्या न्यायिक?

April 9, 2023

दिल्ली परिवहन विभाग द्वारा दिल्ली के सरकारी विभागों/निकायों के समय सीमा समाप्त कर चुके वाहनों को स्क्रैप करवाने की जगह दिल्ली की जनता के वाहनों को अपनी ताकत का दुरुपयोग कर प्रवर्तन शाखा द्वारा वाहन को कब्जे में लेकर अपने मनपसंद स्क्रैप डीलर के सुपुर्द कर स्क्रैप करवाने के आदेश किए पारित (आदेश की कापी इसी पोस्ट के साथ स्लगन)

* समय सीमा समाप्त कर चुके वाहनों को ई किट लगाकर चलाने की इजाजत प्रदान करना पर दिल्ली में एक भी अधिकृत ई किट डीलर का पंजीकरण जनहित में पॉलिसी जारी कर पंजीकृत ना होने देना

* दिल्ली में स्क्रैप डीलर ना उपलब्ध होने पर प्रवर्तन शाखा द्वारा जनता के वाहनों को उठवाकर बाहरी राज्यों के स्क्रैप डीलरो को सुपुर्द करवाना जैसे कई आदेश/ दिशा निर्देश जारी किए हैं। अब जानते हैं कि इन आदेशों से किसका हित हुआ *जनता या अन्य*

* समय सीमा समाप्त कर चुके वाहनों के लिए 2019 से घोषणाएं की आप अपने वाहनों को ई किट लगाकर सड़को पर चला सकते हैं पर *2019 से 2023 तक एक भी ई किट लगाने वाले डीलर को नही किया अधिकृत और ना ही दी इजाजत बिना अधिकृत डीलर से ई किट लगाकर वाहन चलाने की । सिर्फ जनहित के लिए दिखाया गया आदेश क्योंकि सड़क परिवहन एवम राजमार्ग मंत्रालय के आदेश के तहत आज 2023 में भी डीजल वाहनों की समय सीमा 15 वर्ष है ।* माननीय उच्चतम न्यायालय/एनजीटी द्वारा प्रदुषण नियंत्रण के प्रति इसी विभाग के कारण दिल्ली की सड़को पर चलने की आयु सीमा 10 साल ।

* जनहित का नाम लेकर दिल्ली परिवहन विभाग द्वारा ऐसे नियम बनाना जिसके कारण दिल्ली में एक भी अधिकृत ई किट डीलर और स्क्रैप डीलर पंजीकरण ना कर पाए । दिल्ली परिवहन विभाग द्वारा भारत सरकार के दिशा निर्देश का नाम लेकर दिल्ली में प्रवर्तन शाखा के साथ अपनी मनपसंद के बाहरी राज्यों में अधिकृत/ पंजीकृत स्क्रैप डीलरो को लगा कर दिल्ली की जनता के वाहन सुपुर्द करवाकर स्क्रैप करवाना कितना जनहित का आदेश हैं, किसी के द्वारा गलती करने पर सीधा बिना किसी मौका दिए फांसी की सजा सुना देना है ना जनहित का आदेश। इस आदेश से जनहित कम और अन्य हित ज्यादा नज़र आते हैं ।

आपकी जानकारी हेतु बता रहे हैं *अगर कोई वाहन चालक माननीय उच्चतम न्यायालय/ एनजीटी के आदेश के कारण समय सीमा पूरा माने जाने वाले अपने वाहन को सड़कों पर चलाता पाया जाता हैं तब परिवहन विभाग की प्रवर्तन शाखा के अधिकारी/कर्मचारी उस वाहन का चालान कर के वाहन को जब्त कर अपनी पिट में जमा कर सकता है और किए गए चालान को तत्काल प्रभाव से कोर्ट में पेश कर सकता है ।* ना की बिना कोर्ट के आदेश प्राप्त किए या वाहन मालिक की रजामंदी प्राप्त किए वाहन को अपनी ताकत दिखाते हुए गैर कानूनी तरीके को अपनाकर किसी अन्य यानी अपने मनपसंद स्क्रैप डीलर को सुपूर्द करने के।

जनहित में जारी
संजय बाटला

जनहित में जारी
संजय बाटला

दिल्ली परिवहन विभाग किसके लिए, बड़ा सवाल ?

April 4, 2023

दिल्ली परिवहन विभाग
जनहित के लिए या अन्यों के हित के लिए बड़ा सवाल ???

परिवहन विभाग द्वारा दिल्ली के वाहन मालिको से गैर कानूनी तरीके से फीस लेकर सरकार के राजस्व में इज़ाफ़ा करवाने का सबूत आया सामने,

वाहन के परमिट के लिए ली जाने वाली फीस सड़क परिवहन एवम् राजमार्ग मंत्रालय और दिल्ली परिवहन विभाग द्वारा एमवी एक्ट और रूल में व्यक्त है और साथ ही यह भी बताया गया है कि कितने समय पहले उस परमिट के लिए दुबारा रिन्यू के लिए फीस जमा करवा सकते हैं।

दिल्ली परिवहन विभाग में एक वाहन मालिक के द्वारा 2022 में अपने परमिट के नवीनीकरण (रिन्यू) की फीस जमा करवाई जो कि 5 साल के लिए थी यानी 2027 तक।
वाहन की उस परमिट पर चलने की समय सीमा 2023 तक थी जिसके लिए परिवहन विभाग द्वारा उस मालिक को वाहन का परमिट नवीनीकरण (रिन्यू) 2023 तक करके जारी कर दिया,
वाहन मालिक के द्वारा वाहन का परमिट रिप्लेसमेंट मोड़ यानी नए वाहन को अपने पुराने वाहन के लिए ज़ारी परमिट पर लाने के लिए जमा कर दिया गया,
वाहन मालिक द्वारा जिस दिन रिप्लेसमेंट मोड़ में परमिट जमा करवा कर रिप्लेसमेंट स्लिप प्राप्त की गई उस दिन तक उस पर कोई देरी का जुर्माना बकाया नही था
नियम के अनुसार वाहन को रिप्लेसमेंट करवाने के बाद बिना किसी जुर्माना भरे 120 दिन में नया वाहन खरीद कर उस परमिट पर चढ़वाया जा सकता है,
वाहन मालिक द्वारा 10 दिनों में ही नया वाहन खरीद कर अपने पुराने वाहन की जगह उस परमिट पर चढवाने के लिए परिवहन विभाग में प्रस्तुत कर दिया,
वाहन मालिक को नए वाहन पर उसके पुराने वाहन की जगह नए वाहन पर जो परमिट प्रदान किया गया वह उसी तारीख तक मान्य था जिस तारीख को उसका पुराने वाहन के लिए परमिट जारी किया गया था क्योंकि उस वाहन की परमिट श्रेणी के अनुसार सड़क पर चलने की समय सीमा समाप्त हो रही थी,
वाहन मालिक द्वारा परिवहन विभाग को बताया गया की उसके द्वारा इस परमिट के लिए 2027 तक की फीस जमा करवाई हुई है पर उसकी बात किसी ने नहीं सुनी और उसे उसके परमिट के नवीनीकरण (रिन्यू) के लिए दुबारा फीस जमा करवाने के लिए कह दिया,

अचम्बा
वाहन मालिक द्वारा परमिट फीस जमा होने के बावजूद जब दुबारा उसी परमिट के नवीनीकरण (रिन्यू) की फीस कटवाने लगा तो फीस के साथ उससे जुर्माना भी मांगा गया वह भी उस समय के लिए जब वह परमिट रिप्लेसमेंट मोड़ में जमा था,

अब आप समझ सकते है की परिवहन विभाग ने सरकार के राजस्व में इज़ाफ़ा करवाने के लिए किस आधार पर मालिको के साथ ठगी यानी गैर कानूनी तरीके से पैसा वसूल करने के लिए एप प्रोग्राम बनवा रखे हैं और सच तो यह भी है की आप किसी से भी शिकायत करके देख ले असर जीरो पाएंगे।

जनहित में जारी
संजय बाटला